विपक्षी वंशवाद फेल, सरकारी पास; जगदा, सुरेंद्र के बच्चे हारे; मांझी की बहू, पांडेय का बेटा जीते
- बिहार विधानसभा की चार सीटों के उपचुनाव में सारी सीटें नीतीश कुमार की अगुवाई में चल रहे एनडीए गठबंधन ने जीत ली है। मजेदार ये रहा कि विपक्षी दलों के परिवारवाद पर जहां जनता ने मुहर नहीं लगाई वहीं सत्ताधारी दलों के परिजन जीतकर विधानसभा पहुंच गए।
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले चार सीटों के उपचुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने चार की चार सीट जीतकर सेमीफाइनल अपने नाम कर लिया है। रामगढ़ से लेकर इमामगंज तक भाजपा, जेडीयू और हम के कैंडिडेट ने राजद और सीपीआई-एमएल को धूल चटा दी। रामगढ़ में बसपा ने राजद का खेल बिगाड़ा या राजद ने बसपा का खेल बिगाड़ा, कहा नहीं जा सकता लेकिन इमामगंज से प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने तेजस्वी यादव की राजद की हार सुनिश्चित कर दी। सबसे मजेदार ये रहा कि वोटरों ने सत्ताधारी दलों के परिवारवाद पर तो मुहर लगा दी लेकिन विपक्षी दलों के वंशवाद को खारिज कर दिया।
एनडीए की तरफ से तरारी सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने बाहुबली नेता और पहले पीरो और बाद में तरारी से कुल चार बार विधायक रहे सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत उर्फ सुशील पांडे को टिकट दिया था। सुशील पांडे ने सीपीआई-माले के राजू यादव को 10612 वोटों से हरा दिया। एनडीए की तरफ से हम ने इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू और पार्टी के अध्यक्ष संतोष सुमन मांझी की पत्नी दीपा मांझी को लड़ाया था। जीतन मांझी की खाली की गई सीट पर दीपा मांझी ने 5945 वोटों के अंतर से राजद के रोशन मांझी को हरा दिया। जन सुराज पार्टी के जितेंद्र पासवान ने इमामगंज में 37 हजार वोट जुटाकर राजद को हार की ओर ढकेल दिया जिससे मांझी परिवार की इज्जत बच गई।
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विपक्षी महागठबंधन की तरफ से टिकट देने में भी दो सीट पर परिवारवाद चला। लालू यादव की पार्टी राजद ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की पुश्तैनी सीट समझी जा रही रामगढ़ में उनके बेटे सुधाकर सिंह के सांसद बनने के बाद दूसरे बेटे अजीत सिंह को टिकट दिया। मतदाताओं ने इस बार जगदानंद सिंह के बेटे की वो दुर्गति की कि वो तीसरे नंबर पर चले गए। भाजपा के अशोक सिंह ने दूसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की और वो भी बसपा के पिंटू यादव को हराकर जो दो बार राजद के टिकट पर यहीं से विधायक बने अंबिका यादव के भतीजे हैं। 2020 में अंबिका का टिकट काटकर सुधाकर को लड़ाया गया था और तब वो बसपा के टिकट पर उतर गए थे।
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राजद ने जहानाबाद से सांसद बने सुरेंद्र प्रसाद यादव की बेलागंज सीट पर उनके ही बेटे विश्वनाथ सिंह यादव पर भरोसा किया था लेकिन इस चक्कर में 34 साल से जिस सीट पर राजद का कब्जा था, वो सीट ही जेडीयू ने छीन ली। जेडीयू की मनोरमा देवी ने राजद के विश्वनाथ यादव को 21391 वोट के अंतर से हरा दिया। बेलागंज के जिन वोटरों ने 1990 के बाद से अब तक सुरेंद्र यादव को 8 बार जिताया था, उन्होंने इस बार उनके बेटे को खाली हाथ लौटा दिया। राजनीतिक समीकरण की समझ रखने वाले स्थानीय लोग कह रहे हैं कि सुरेंद्र को सवर्ण जातियों का वोट मिलता था लेकिन इस बार जेडीयू की भी यादव उम्मीदवार मनोरमा को सवर्ण का एकमुश्त वोट तो मिला ही, कुछ यादव वोट भी टूट गया।