राष्ट्र की तासीर के अनुसार हो इतिहास लेखन : वीसी
मुजफ्फरपुर में बीआरएबीयू और काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने स्वतंत्रता संग्राम में कृषि और विज्ञान को शामिल करने की...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बीआरएबीयू के इतिहास विभाग द्वारा विश्वविद्यालय और काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को सीनेट हॉल में भारतीय स्वाधीनता के लिए संघर्षरत संग्रामी और नेताओं के योगदान का इतिहास : एक पुनर्विचार विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने की। उन्होंने राष्ट्र के तासीर के अनुसार लेखन पर जोर दिया। उन्होंने इतिहास के लेखन में कृषि, भौगोलिक विविधता और विज्ञान को शामिल करने की जरुरत पर बल दिया। मुख्य वक्ता रबीन्द्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता के प्रो. हितेंद्र पटेल ने साहित्यिक स्रोतों के जरिये गांवों, कस्बों और मुहल्लों के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को उजागर करने की जरुरत पर बल दिया।
विशिष्ट वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रो. जे.एन. सिन्हा ने स्वतंत्रता आंदोलन के क्षेत्रीय नायकों को इतिहास की मुख्यधारा में लाने के महत्व को रेखांकित किया और हुस्सेपुर राज के फतेह बहादुर शाही की ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष को साझा किया। इस अवसर पर बीआरएबीयू और काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के बीच अकादमिक उद्देश्य से एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर भी हस्ताक्षर किया गया। संगोष्ठी के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. रेणु कुमारी ने स्वागत भाषण किया। डॉ. गौतम चंद्रा ने विषय प्रवेश कराया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिवेश कुमार और मंच संचालन डॉ. अंशु त्यागी ने किया। इस अवसर पर प्रॉक्टर प्रो. बी.एस. राय, प्रो. प्रभाकर प्रसाद सिंह, प्रो. अजीत कुमार, प्रो. पंकज कुमार राय, डॉ. अर्चना पांडेय, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. अमर बहादुर शुक्ला, डॉ. अमानुल्लाह, शोधार्थी हिमांशु, अन्नू, मणिरंजन, निशांत, विशाल, बाबुल, खुशबू, पूजा समेत देशभर के सैकड़ों शोधार्थी और विद्यार्थी शामिल थे।
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