संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार को लेकर होगी महारैली
संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार को लेकर होगी महारैलीसंवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार को लेकर होगी महारैलीसंवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार को लेकर होगी महारैली

खगड़िया । नगर संवाददाता राष्ट्रीय लोक मोर्चा संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार को लेकर आगामी आठ जून को रोहतास व मुजफ्फरपुर से महारैली के साथ ही अभियान शुरू करेगा। यह बातें रालोमो के प्रदेश महासचिव चंदन बागची ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जिला कार्यालय में पत्रकारों से सोमवार को कही। उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने संकल्प लिया है कि संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार हमारा है। इसलिए हम संघर्ष कर अपने अधिकार को निश्चित रूप से पाएंगे। साथ ही कहा कि परिसीमन वर्ष 2026 में दोबारा होना है। जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन होता है और लोकसभा क्षेत्र का परिसीमन किया जाता है।
परिसीमन का मुख्य उद्देश्य राज्यों के लोकसभा व विधानसभा सीटों की संख्या आबादी के अनुसार निर्धारण करना है। देश में परिसीमन 1973 तक आबादी के अनुसार तय होता रहा, किन्तु 1976 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने 25 वर्षों के लिए फ्रीज कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में परिसीमन तो किया गया, लेकिन लोकसभा की सीट पूर्व की ही तरह रही। सिर्फ निर्वाचन क्षेत्रों को आबादी के अनुसार संतुलित करने का काम किया गया। साथ ही कहा कि वर्ष 1951, 1961 व 1971 में लोस सीटों की संख्या क्रमश: 494, 522 व 543 किया गया। उस समय हर सीट की औसतन आबादी 7.3 लाख, 8.4 लाख व 10.1 लाख थी। दक्षिण भारत में 21 लाख की आबादी पर एक संसदीय सीट है। जबकि उत्तर भारत में 31 लाख की आबादी पर एक संसदीय सीट है। यह व्यवस्था बिहार सहित पूरे उत्तर भारत के राज्यों का देश की संसद में हमारे प्रतिनिधत्व को कम करता है। जो संविधान की मूल भावना एक व्यक्ति, एक वोट व एक मुल्य के साथ छलावा है। मौजूदा आबादी के आधार पर परिसीमन नहीं होने के कारण पिछले 50 वर्षों से अपने इस अधिकार से वंचित हैं। यह हमारे राजनैतिक अधिकारों के साथ धोखा तो है ही क्षेत्र के विकास कार्यों को भी प्रभावित करता है। कहा अब हमें संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार क ी लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हमारे साथ जो छल किया गया, उसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है। अगर कांग्रेस की सरकार द्वारा यह काम नहीं करती तो बिहार में कम से कम और 20 सांसदों का लाभ राज्य को मिलता। कहा कि वर्ष 2026 में परिसीमन किया जाना है। आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण किया जा सकता है। इसके लिए ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। जिससे बिहार के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी हासिल कर सकें। इससे सिर्फ लोकसभा नहीं बल्कि विधानसभा सीटों का भी फायदा होगा। प्रदेश महासचिव ने कहा कि परिसीमन नहंी होने से एससी/ एसटी व 33 फीसदी प्रस्तावित महिला आरक्षण के साथ भी धोखा है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार के संकल्प को पूरा करके ही दम लेगी। इसके लिए आठ जून को रोहता व व मुजफ्फरपुर में रालोमो द्वारा संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन करेगी। इस दौरान रालोमो जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह, प्रदेश सचिव कैलाश वर्मा, प्रवक्ता वीरेन्द्र सिंह कुशवाहा, चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष डॉ विनय कुमार, छात्र प्रकोष्ठ के सुगम कुमार, पंकज कुशवाहा, वीर सिंह, धीरज कुमार व गौतम कुमार आदि मौजूद थे। फोटो: 12 कैप्शन: सोमवार को रालोमो कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जानकारी देते प्रदेश महासचिव चंदन बागची।
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