अगर इमामगंज में जन सुराज नहीं लड़ती तो आरजेडी की बुरी हार होती; प्रशांत किशोर का अनुमान
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर उनकी पार्टी इमामगंज में नहीं लड़ती, तो आरजेडी की बुरी हार होती, और 25 से 30 हजार वोटों से हारती। प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया कि 4 सीटों के उपचुनाव में 10% वोट बहुत बड़ा वोट नहीं है, लेकिन एक बेहतर शुरूआत है।
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा उपचुनाव के परिणामों के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार की एक बड़ी जनसंख्या में जन सुराज के प्रति सकारात्मक सोच विकसित हुई है। अब इस सोच को दल और वोट में बदलने की प्रक्रिया जारी है। महज एक महीने पुरानी पार्टी जन सुराज ने 10% वोट प्राप्त करके अपनी शुरुआत कर दी है। प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया कि 10% वोट बहुत बड़ा वोट नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे एक बेहतर शुरुआत बताया।
उन्होंने कहा, बिहार में भाजपा जैसी देश की सबसे बड़ी पार्टी को 21% वोट मिलता है। राजद को 20%, जेडीयू को 11% और जन सुराज को 10% वोट मिला है। यह प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारा दल एक महीने पुराना है, चुनाव चिन्ह 10 दिन पहले मिला है, और जिन क्षेत्रों में चुनाव हुआ वहां हमारी पदयात्रा भी नहीं हुई थी, ना कोई संगठन था।
वहीं बेलागंज परिणाम पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बेलागंज का बूथ वाइस सीट का वोट निकाल कर देख लीजिए, वहां के मुस्लिमों ने जेडीयू और भाजपा को वोट दिया है, वहां के मुस्लिमों ने जन सुराज को वोट नहीं दिया है। उन्होंने सबसे ज्यादा वोट वहां के जेडीयू और भाजपा के उम्मीदवार को दिया है। आप बूथ वाइस, जो बेलागंज के बड़े मुस्लिम गांव हैं, वहां पर जो वोट पड़ा है, उसको निकाल कर देख लीजिए।
अगर राजद वाले कह रहे हैं कि अगर हम लोग इमामगंज में चुनाव नहीं लड़ते तो मांझी जी को 55,000 से कम वोट मिलता। NDA के कैंडिडेट को सबसे कम वोट इमामगंज में मिला है। तो हमारा ये अनुमान है कि जो वोट जन सुराज को मिला है, वो दो-तिहाई था जो दीपा मांझी जी को मिल सकता था, कुछ हिस्सा जरूर राजद का आया होगा और अगर इमामगंज में हम नहीं लड़ते तो राजद वहां और बड़े स्तर से हारती, कम से कम 25 से 30 हजार वोट से हारती।
वहीं बेलागंज परिणाम पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बेलागंज का बूथ वाइस सीट का वोट निकाल कर देख लीजिए, वहां के मुस्लिमों ने जेडीयू और भाजपा को वोट दिया है, वहां के मुस्लिमों ने जन सुराज को वोट नहीं दिया है। उन्होंने सबसे ज्यादा वोट वहां के जेडीयू और भाजपा के उम्मीदवार को दिया है। आप बूथ वाइस, जो बेलागंज के बड़े मुस्लिम गांव हैं, वहां पर जो वोट पड़ा है, उसको निकाल कर देख लीजिए।
अगर राजद वाले कह रहे हैं कि अगर हम लोग इमामगंज में चुनाव नहीं लड़ते तो मांझी जी को 55,000 से कम वोट मिलता। NDA के कैंडिडेट को सबसे कम वोट इमामगंज में मिला है। तो हमारा ये अनुमान है कि जो वोट जन सुराज को मिला है, वो दो-तिहाई था जो दीपा मांझी जी को मिल सकता था, कुछ हिस्सा जरूर राजद का आया होगा और अगर इमामगंज में हम नहीं लड़ते तो राजद वहां और बड़े स्तर से हारती, कम से कम 25 से 30 हजार वोट से हारती।
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प्रशांत किशोर ने कहा कि यह कोई बहाना नहीं है। प्रदर्शन और अच्छा हो सकता था। लेकिन जो कुछ भी है, उसे देखकर हम इसे और बेहतर करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 10% वोट आया है, लेकिन अगर 1% भी आता, तो भी हमारे प्रयास और प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आती। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि वह इस अभियान से पीछे नहीं हटने वाले हैं। उन्होंने कहा, अगर इसे सफल बनाने में 10 साल भी लगते हैं, तो भी मैं जन सुराज अभियान के साथ बना रहूंगा।