Hindi Newsबिहार न्यूज़How to avoid the dangers of earthquake, government alert before 100 years of 1934 flood letter sent to all districts

भूकंप के खतरों से कैसे बचें, 1934 के जलजला के सौ साल से पहले सरकार सतर्क, सभी जिलों को पत्र भेजा गया

  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें आशंकित खतरे से निबटने की तैयारियों पर चर्चा हुई।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, रंजीत कुमार सिंह, पटनाSat, 11 Jan 2025 11:10 AM
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वर्ष 1934 के भूकंप में बिहार में दस हजार लोगों की जान गई थी। इसके सौ वर्ष पूरे होने में अब नौ वर्ष ही शेष हैं। हर सौ साल पर आपदा दोहराने का अंदेशा रहता है। इस बीच हाल के वर्षों में भूकंप के झटके भी बढ़े हैं। ऐसे में बिहार आशंकित खतरे से निबटने की तैयारी में अभी से जुट गया है। लोगों को भूकंप से कैसे बचाएं, जानमाल का नुकसान कैसे कम हो, इस पर गहन अध्ययन और तैयारियां की जा रही हैं।

राज्य के लोगों को आने वाले दिनों में और बड़ी तैयारियां देखने को मिलेंगी। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार सात जनवरी को आए भूकंप के झटके भी राज्य के सभी जिले में महसूस किए गए। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें आशंकित खतरे से निबटने की तैयारियों पर चर्चा हुई। सभी जिलों से कहा गया है कि स्कूली बच्चों के बीच सुरक्षित शनिवार आयोजित करने के साथ ही प्रार्थना के समय रोजाना आपदा से बचाव के उपाय पर चर्चा कराएं। मॉक ड्रिल कर उन्हें प्रशिक्षण दें। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से सभी राजमिस्त्रित्त्यों, सिविल अभियंताओं, वास्तुविदों, बिल्डरों को भूकंपरोधी मकान बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कहा गया कि सभी मकान का भूकंपरोधी बनना सुनिश्चित करें। कमजोर भवनों की सूची तैयार कर उसका विकल्प तैयार कर लें। खतरे वाले जिलों में स्कूलों, अस्पतालों के अलावा घरों में भी आपदा किट तैयार रखें। किट में टार्च, जरूरी दवाइयां, कपड़े आदि हों। जिलाधिकारियों से कहा गया है कि खुली जगह के अलावा आसपास सामुदायिक रसोई के लिए स्थान भी चिह्नित कर लें।

हर सौ साल पर आता है खतरा हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट से बिहार की स्थिति जुड़ी रहने के चलते भूकंप का खतरा ज्यादा रहता है। राज्य के आठ जिले अतिसंवेदनशील माने जाने वाले जोन पांच, 24 जिले जोन चार और छह जिले जोन पांच में आते हैं। पिछला रिकॉर्ड देखें तो 1764 में रिक्टर पैमाने पर 6 तीव्रता वाला भूकंप आया था। उसके बाद 1833 में 7 तीव्रता वाला भूकंप आया। उसके 99 साल बाद 1934 में आए भूकंप से राज्य में बड़ी तबाही मची थी। तब 8.4 तीव्रता वाले भूकंप से करीब दस हजार लोगों की मौत हुई थी। 1934 के 80 साल बाद 25-26 अप्रैल 2015 को दो दिनों तक बिहार में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लेट के टकराने के बाद भूगर्भ के अंदर का तनाव पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया है। यह निकलना चाहता है। यही खतरा नेपाल और बिहार पर मंडराते रहता है।

राज्य के सभी जिलों में बनेंगे बहु आपदा केंद्र

राज्य के पांच जिलों के एक-एक तकनीकी संस्थानों में भूकंप सुरक्षा क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। इसे बहु आपदा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। अन्य जिलों में भी बहु आपदा केंद्र बनेंगे। केंद्र का काम जागरूकता के अलावा लोगों को आपदा से बचाव का निशुल्क प्रशिक्षण देना है। वर्तमान में पटना एनआईटी, सुरसंड पॉलिटेक्निक, दरभंगा पॉलिटेक्निक, मुजफ्फरपुर प्रोद्यौगिकी संस्थान, भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में भूकंप सुरक्षा क्लीनिक संचालित हैं।

● सभी 38 जिलों के एक तकनीक संस्थान में बहुआपदा केंद्र बनेंगे।

● पटना और दस अन्य जिलों में डेटा संग्रहण केंद्र बनाकर शोध होगा।

● बीएसआरडीएन एप की मदद से संसाधनों के समुचित इंतजाम किए जाएंगे।

● राजमिस्त्रित्त्यों, वास्तुविदों, बिल्डरों, अभियंताओं को भूकंपरोधी मकान बनाने का प्रशिक्षण।

● बच्चों को स्कूल प्रार्थना के समय रोजाना भूकंप से बचाव के प्रति जागरूक किया जाएगा।

● जागरूकता में एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र सहित अन्य संगठनों की मदद ली जाएगी।

टेलीमेट्री नेटवर्क की स्थापना कर होगा शोध

पटना के अलावा दस जिलों को टेलीमेट्री नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। यहां बिहार भूकंप दूरमापी यंत्र की स्थापना कर शोध होगा। धरती के अंदर खासकर हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट की हलचल का अध्ययन कर डेटा संग्रह किया जाएगा। भूकंप का पूर्वानुमान लगाने में डेटा की मदद ली जाएगी। जल्द ही सभी जगहों पर मशीन की स्थापना कर दी जाएगी।

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