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क्या है मिथाइल अल्कोहल, जिसे पीने के बाद सीवान और छपरा में एक-एक कर दम तोड़ रहे लोग

Bihar Hooch Tragedy: छपरा और सीवान के जहरीली शराबकांड में पुलिस-प्रशासन और उत्पाद विभाग की टीमों ने शुरुआती जांच में पाया है कि जिस दारू से एक के बाद एक लोग दम तोड़ते जा रहे हैं, वो उद्योगों में इस्तेमाल किए जाने वाला मिथाइल अल्कोहल है।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, पटनाThu, 17 Oct 2024 03:35 PM
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Bihar Hooch Tragedy: बिहार में एक बार फिर जहरीली शराबकांड का कहर देखने को मिल रहा है। सीवान और छपरा (सारण) में बीते दो दिनों के भीतर 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, दर्जनों लोग बीमार हैं जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। इनमें से कुछ पीड़ितों ने अपनी आंखों की रोशनी भी गंवा दी है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि मिथाइल अल्कोहल के सेवन की वजह से पीड़ित एक-एक कर दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर मिथाइल अल्कोल क्या है, जिसकी वजह से दर्जनों घरों में मातम छा गया।

छपरा के मशरक और सीवान के भगवानपुर हाट थाना इलाके में बीते मंगलवार से एक-एक कर लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। इनमें से कुछ लोगों की मौत भी हो गई। मृतकों के परिजन ने पुलिस एवं प्रशासन को बताया कि जहरीली शराब पीने के बाद ही सभी की हालत बिगड़ी थी। बुधवार को सीवान और छपरा के बड़े पदाधिकारी प्रभावित इलाकों में पहुंचे और बड़े स्तर पर छापेमारी अभियान शुरू किया। इस दौरान सैकड़ों लीटर अवैध शराब जब्त की गई। पटना मुख्यालय से भी उत्पाद विभाग और पुलिस की स्पेशल टीमें भेजी गईं।

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अब तक की जांच में मिथाइल अल्कोहल की वजह से मौतों की बात कही जा रही है। सरकार का कहना है कि सभी बरामद सैंपलों की जांच की जा रही है। अभी पता चला है कि इस शराब को कहीं बाहर से लाकर यहां बेचा गया था। अभी तक इसका मूल स्रोत पता नहीं चल पाया है। उत्पाद विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल भी जहरीली शराबकांड की स्थिति का जायजा लेने गुरुवार को सीवान पहुंचे।

क्या होता है मिथाइल अल्कोहल?

सीवान और छपरा में बीते 48 घंटे के भीतर मौतों का कोहराम मचाने वाला मिथाइल अल्कोहल एक तरह का रसायन है। इसे लैब में तैयार किया जाता है। इसे मेथनॉल भी कहते हैं, जिसका इस्तेमाल कल-कारखानों, बिजली उत्पादन और अन्य औद्योगिक गतिविधियों में किया जाता है। कपड़ों की रंगाई, प्रिंटिंग की स्याही और पेंट रिमूवर जैसे तरल पदार्थ बनाने में भी यह काम आता है।

मिथाइल अल्कोहल कैसे बना मौत की ड्रिंक?

बिहार में साल 2016 को पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था। जिसके बाद राज्य में अवैध शराब का धंधा बड़े पैमाने पर फल-फूल गया। शराब माफिया दूसरे राज्यों और नेपाल से तस्करी करके दारू लाते हैं और फिर यहां बेचते हैं। उत्पाद विभाग द्वारा समय-समय पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन फिर भी यह धंधा बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। इनमें से ही कुछ माफिया ऐसे हैं जो औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बनाई जाने वाले मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल करके नकली शराब बनाकर बेच देते हैं।

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विशेषज्ञों के मुताबिक 10 मिलीलीटर या उससे ज्यादा मेथनॉल पीने से एक स्वस्थ इंसान के आंखों की रोशनी जा सकती है। वहीं, 30 मिलीलीटर से ज्यादा मिथाइल अल्कोहल का सेवन करने पर जान भी जा सकती है। आशंका है कि इसी 'जहर' से बनी नकली शराब का सेवन करने से सीवान और छपरा में एक के बाद एक लोग दम तोड़ रहे हैं।

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