फ्लोर क्लीनर, टूथ पाउडर और माउथ वॉश; प्रॉडक्ट लांच करने वाली बिहार की पहली यूनिवर्सिटी BRABU
बीआरएबीयू में तैयार तीनों उत्पाद बाजार में लांच हुए तो यह सूबे में पहला विवि होगा जिसका कोई उत्पाद बाजार में उतारा जाएगा। बिहार विवि में पिछले दिनों इंक्यूबेशन सेल का गठन कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय ने किया था। इसके बाद रजिस्ट्रार प्रो. अपराजिता कृष्णा ने सेल के कामकाज की रूपरेखा तय की।
मुजफ्फरपुर स्थित बीआरएबीयू जनवरी में अपने तीन उत्पाद लांच करेगा। इनमें हर्बल फ्लोर क्लीनर, हर्बल टूथ पाउडर और हर्बल माउथ वॉश शामिल हैं। केमेस्ट्री विभाग में बने इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेल ने इन उत्पादों को तैयार किया है। इसे बाजार में उतारने से पहले बीआरएबीयू प्रशासन एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) से अनुमति लेगा। इसके लिए संस्थान को पत्र भेजा जा रहा है।
इंक्यूबेशन सेल से जुड़े व केमेस्ट्री के सहायक प्राध्यापक डॉ. अभय नंदा श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों उत्पादों पर काम अंतिम दौर में है। जनवरी में तीनों उत्पाद बाजार में उतारने की तैयारी है। इसके लिए जो भी आवश्यक प्रक्रिया है उसे किया जा रहा है।
सूबे में पहली बार किसी विवि का आएगा उत्पाद
बीआरएबीयू में तैयार तीनों उत्पाद बाजार में लांच हुए तो यह सूबे में पहला विवि होगा जिसका कोई उत्पाद बाजार में उतारा जाएगा। बिहार विवि में पिछले दिनों इंक्यूबेशन सेल का गठन कुलपति प्रो दिनेश चंद्र राय ने किया था। इसके बाद रजिस्ट्रार प्रो. अपराजिता कृष्णा ने सेल के कामकाज की रूपरेखा तय की। सबसे पहले फिनाइल बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था। इसके बाद केमेस्ट्री विभाग में इस पर काम शुरू किया। प्रो. अभय नंदा श्रीवास्तव ने बताया कि बीआरएबीयू के ये हर्बल उत्पाद कम कीमत में लोगों को मिल सकेंगे। हालांकि, हर्बल होने से इसकी एक्सपायरी कम दिन की होगी। इसका साइड इफेक्ट नहीं होगा। इन उत्पादों में नीम और तुलसी जैसे तत्वों का इस्तेमाल किया गया है। टूथ पाउडर में मीठी तुलसी का उपयोग किया गया है।
विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग से ली जाएगी मदद
विवि प्रशासन इन तीन उत्पादों को तैयार करने के अलावा इंक्यूबेशन सेंटर चलाने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से भी मदद लेगा। विवि कई और उत्पाद बनाने पर विचार कर रहा है। इंक्यूबेशन व इनोवेशन सेंटर में मखाना के कुछ उत्पाद बनाने और एलईडी बल्ब बनाने का भी प्रस्ताव है। इसके लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। इसलिए विवि विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर्षद से भी फंड देने के लिए अनुरोध किया जाएगा।