प्रशांत किशोर वाली बस को दिलीप छाबड़िया ने वैनिटी वैन बनाया था, वसूले थे कई लाख
- प्रशांत किशोर के अनशन के दौरान जो वैनिटी वैन खुद खबर बन गई थी, उसे एक बस से वैनिटी वैन बनाने का काम मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबड़िया की कंपनी DC2 ने किया था।
जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के बेमियादी अनशन के दौरान उनकी भूख हड़ताल और बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा को लेकर चल रहे आंदोलन के मसलों के समानांतर खबर में एक वैनिटी वैन ने जगह बनाई थी। विपक्षी दल उस वैनिटी वैन की कीमत, किराया और सुविधाओं को लेकर तंज पर तंज कसे जा रहे थे। जब दोबारा परीक्षा मांग कर रहे बीपीएससी परीक्षार्थियों के समर्थन में अनशन कर बैठे प्रशांत किशोर को 6 जनवरी की अहले सुबह गिरफ्तार किया गया था, तब पुलिस इस वैनिटी वैन को भी जब्त करके ले गई थी। वैनिटी वैन की मालिक कंपनी में पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह की पत्नी निदेशक हैं। उदय ने प्रशांत को पटना में रहने के लिए अपना शेखपुरा हाउस भी मित्रता में दे रखा है।
वैनिटी वैन के पेपर के मुताबिक इसुजु कंपनी से एक चेसिस मार्च 2017 में खरीदी गई जिसे वैनिटी वैन के तौर पर डेवलप करने का काम मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबड़िया की कंपनी DC2 को दिया गया। दिलीप छाबड़िया की कंपनी ने दो महीने बाद मध्यम साइज की बस की चेसिस को एक शानदार वैनिटी वैन बनाकर सनस्टार नाम की कंपनी को सौंप दिया। इसके लिए उसने 77.27 लाख रुपए वसूले। उदय सिंह की पत्नी कंपनी की निदेशक हैं। वैनिटी वैन का इस्तेमाल उदय सिंह ने भी काफी समय किया है। आजकल वो प्रशांत किशोर के साथ हैं और जन सुराज के लिए अपने साधन-संसाधन का दरवाजा खोल रखा है।
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उदय सिंह ने पिछले हफ्ते कुछ पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि उनके पास जितनी गाड़ियां हैं, उसमें प्रशांत किशोर जितनी गाड़ी मांगेंगे, वो सब वो देंगे। उन्होंने कहा कि तब उस वैनिटी वैन की कीमत एक करोड़ से कम थी और आज उसकी कीमत 857200 रुपए है। उसके अंदर एक पलंग है, दो कुर्सी है और एक बाथरूम है। इसे अपनी सुविधा के लिए बनवाया था क्योंकि इलाके में कई जगह शौच की दिक्कत होती थी। गाड़ी पटना में खड़ी रहती थी। प्रशांत किशोर को इससे पहले भी जब इसकी जरूरत हुई, वो लेकर गए।
उदय सिंह ने बनवाई थी जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर को सौंप दी
उदय सिंह ने बताया था कि वो कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद प्रशांत किशोर के संपर्क में आए थे और पदयात्रा से लेकर पार्टी बनने तक उनके साथ हैं। उदय ने कहा कि जब ये शुरू हुआ तो उस समय जागरूकता ही मकसद था, राजनीतिक सोच नहीं थी। जन सुराज नाम प्रशांत किशोर की सोच से निकला है। जन सुराज फाउंडेशन के तहत पदयात्रा शुरू हुई। यात्रा में लोग कह रहे थे कि दल बनाओ। लेकिन प्रशांत किशोर नहीं बनाना चाहते थे।
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उदय सिंह ने कहा कि राजनीतिक अनुभवों के आधार पर उन्होंने ये तय किया कि जन सुराज नाम से पार्टी रजिस्टर्ड करा लेंगे नहीं तो कल को कोई इस नाम से पार्टी ना बना ले। उनके एक सहयोगी एसके मिश्रा ने बतौर अध्यक्ष जन सुराज पार्टी रजिस्टर्ड कराई। बाद में प्रशांत किशोर भी मान गए कि राजनीतिक दल बनाना पड़ेगा। तो उनसे कहा कि पार्टी तो बनी हुई है, इसे इस्तेमाल करिए। 2 अक्टूबर को जो पार्टी की घोषणा हुई तो विवाद खड़ा किया गया कि पार्टी पहले बन गई थी। इसमें कुछ छिपाने का है नहीं।