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बिहार के बैंक खातों में करोड़ों भेज रहे दूसरे राज्यों के साइबर फ्रॉड, अब तक 97 हजार अकाउन्ट फ्रीज

ईओयू में रोजाना औसतन 25 से 30 आवेदन फ्रीज खातों को खुलवाने से संबंधित आते हैं। इनमें 15 से 20 आवेदन ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों से संबंधित होते हैं। यानी इनके बैंक खातों में दूसरे राज्यों में हुई साइबर ठगी की राशि का ट्रांसफर हुआ रहता है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटना, कौशिक रंजनThu, 5 Sep 2024 10:15 AM
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साइबर फ्रॉड बिहार के लोगों के बैंक खातों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरे राज्यों में साइबर ठगी में किसी के बैंक खातों से उड़ाई गई राशि बिहार के लोगों के बैंक खातों में भेज दी गई है। आमलोगों को इसका पता तब चल रहा है जब उनके खाते फ्रीज कर दिए जाते हैं। सैकड़ों पीड़ित बैंक खाता खुलवाने के लिए ईओयू का चक्कर लगा रहे हैं। राज्यभर में अब तक 97 हजार 795 बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं, इनमें करीब 40 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिन्हें दूसरे राज्य की एजेंसी ने फ्रीज कराए हैं।

ईओयू में रोजाना औसतन 25 से 30 आवेदन फ्रीज खातों को खुलवाने से संबंधित आते हैं। इनमें 15 से 20 आवेदन ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों से संबंधित होते हैं। यानी इनके बैंक खातों में दूसरे राज्यों में हुई साइबर ठगी की राशि का ट्रांसफर हुआ रहता है। महीने में औसतन 400 से 500 आवेदन इस तरह के आते हैं, जिनमें बैंक खातों को दूसरे राज्यों से फ्रीज किया जाता है। इस तरह के मामले सबसे ज्यादा गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना से जुड़े होते हैं। कई बार साइबर फ्रॉड किसी बड़ी रकम की ठगी करने के बाद जांच से बचने के लिए दर्जनों खातों में 1-2 हजार रुपये जमा करा देते हैं।

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इन फ्रीज खातों को चालू कराने में समस्या फ्रीज बैंक खाता चालू कराने के लिए संबंधित राज्य की जांच एजेंसी से संपर्क करना पड़ता है। जांच पूरी होने तक ये खाते फ्रीज अवस्था में ही रहते हैं। इससे लोगों को काफी परेशानी होती है। कुछ लोगों को दूसरे राज्य जाकर अपनी बेगुनाही से जुड़े साक्ष्य भी देने पड़ते हैं। इस आधार पर दूसरे राज्य की पुलिस खाता फिर से चालू कर सकती है। साइबर फ्राड के पैसे दूसरे के खातों में मंगवाने से संबंधित घटनाएं स्थानीय स्तर पर भी होती है। इसमें भी जाने-अनजाने या खाता धारक को झांसे में लेकर किसी बहाने या प्रलोभन देकर उनके खातों का उपयोग ठगी की ऐसी राशि को मंगवाने के लिए की जाती है।

राजेंद्र नगर के रहने वाले विवेक के खाते में हरियाणा के रोहतक से किसी ने दो हजार रुपये डाल दिए। दीघा निवासी भोला यादव के खाते में महाराष्ट्र के सांगली से पहले 8 हजार रुपये डाले गए, फिर इसमें 7 हजार रुपये निकाल लिए गए। इस तरह के कई उदाहरण हैं। यह राशि सीधे तौर पर या किसी लेनदेन के माध्यम से या किसी परिचित के माध्यम से बैंक खातों में आ रही है। राशि आने के बाद खाताधारक तुरंत इसकी सूचना अपने बैंक या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर नहीं देते हैं, तो कुछ समय बाद उनका यह बैंक खाता फ्रीज कर दिया जाता है। तब जाकर वे सक्रिय होते हैं।

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