Hindi Newsबिहार न्यूज़CPI ML leader Raju Yadav fourth electoral defeat while Sudama Prasad keep winning MLA MP elections

सुदामा जब लड़े जीते, यादव जहां से लड़े हारे; माले नेता राजू के पीछे ही पड़ गई है हार

  • भोजपुर जिला में सीपीआई-एमएल के नेता राजू यादव का हार ने ऐसा पीछा पकड़ा है कि वो सदन और सीट बदलते रहते हैं लेकिन जीत ही नहीं मिलती। राजू यादव अब तरारी विधानसभा उपचुनाव भी हार गए हैं। ये राजू यादव की लगातार पांचवीं हार है।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, सुशील कुमार सिंह, आराSat, 23 Nov 2024 08:53 PM
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कुछ राजनेता एक के बाद एक पहले विधायक और फिर लोकसभा सांसद का चुनाव बेधड़क जीत जाते हैं। भोजपुर जिला में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीआई-एमएल) के वरिष्ठ नेता राजू यादव ऐसे नेता हैं जिनका हार ने ऐसा पीछा पकड़ा है कि वो सीट बदलते हैं, सदन भी बदलते हैं लेकिन जीत उन्हें छकाती रहती है। राजू यादव तरारी विधानसभा सीट का उपचुनाव भी हार गए हैं और ये उनकी लगातार पांचवीं हार है। तरारी से माले के सुदामा प्रसाद लगातार दो बार से विधायक बन रहे थे। संयोग ये भी कि जिस आरा लोकसभा से राजू यादव दो बार चुनाव हार गए, वहां पार्टी ने जब सुदामा को टिकट दिया तो वो भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को हराकर सरपट लोकसभा पहुंच गए। सुदामा के इस्तीफे से ही तरारी में उपचुनाव हुआ था।

आरा में दो दशक से वामपंथी राजनीति के नौजवान चेहरे 41 साल के राजू यादव को 34 साल के विशाल प्रशांत उर्फ सुशील पांडेय ने तरारी में 10612 वोटों से हरा दिया। विशाल प्रशांत इसी सीट से विधायक रह चुके बाहुबली नेता नरेंद्र पांडेय उर्फ सुनील पांडेय के बेटे हैं। तीन महीने पहले ही विशाल प्रशांत भाजपा में शामिल हुए थे क्योंकि भाजपा दागी छवि के उनके पिता सुनील को नहीं लड़ाना चाहती थी। तरारी में माले के सुदामा प्रसाद ने 2015 में विशाल की मां गीता पांडेय को और 2020 में उनके पिता सुनील पांडेय को हराया था। विशाल ने मां-बाप की हार का बदला माले से ले लिया है लेकिन राजू यादव फिर विधायक बनते-बनते रह गए।

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राजू यादव ने आरा में सीपीआई-माले के छात्र संगठन आइसा को खड़ा किया था और आगे बिहार आइसा के अध्यक्ष भी बने। सीपीआई-माले ने राजू को सबसे पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में बड़हरा से लड़ाया। इसमें वो चौथे नंबर पर रहे। तब उनका नाम राजीव रंजन हुआ करता था जिसे उन्होंने बाद में बदलकर राजू यादव कर लिया। पार्टी ने दूसरी बार 2014 के लोकसभा चुनाव में राजू यादव को आरा से लड़ाया। भाजपा कैंडिडेट और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह ने राजद के नेता भगवान सिंह कुशवाहा और राजू को हरा दिया। राजू को 98 हजार वोट मिले और वो तीसरे नंबर पर रहे।

माले ने फिर 2015 के विधानसभा चुनाव में राजू यादव को संदेश सीट से लड़ाया, जहां वो तीसरे नंबर पर ही रह गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में आपसी समझदारी के तहत आरा में राजद ने माले का और पाटलिपुत्र में माले ने मीसा भारती का समर्थन किया। इसके बाद सीपीआई-माले ने 2019 में राजू यादव को आरा से दोबारा लड़ाया लेकिन इस बार भी वो आरके सिंह से लगभग डेढ़ लाख वोट के अंतर से हार गए। राजू को इस बार वोट 4.19 लाख मिले थे। फिर 2024 के चुनाव में तरारी सीट से 2015 और 2020 का चुनाव जीते सुदामा प्रसाद को सीपीआई ने आरा से उतारा जो अति पिछड़ा वैश्य समुदाय से आते हैं। सुदामा लगभग 60 हजार वोट के अंतर से आरके सिंह को हराकर सांसद बन गए। उनकी खाली तरारी सीट पर पार्टी ने राजू को उतारा लेकिन हार ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।

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आरा में राजनीतिक समीकरणों को समझने वाले लोग बताते हैं कि राजू यादव जब भी लड़ते हैं तो उनको काडर या यादव वोट के अलावा कोई नया वोट नहीं मिलता है और वो हार जाते हैं। लेकिन जब सुदामा प्रसाद को पहले तरारी से विधानसभा और फिर आरा से लोकसभा का टिकट मिला तो उनके साथ काडर, यादव वोट के साथ कुछ अति पिछड़ा वैश्य का वोट भी जुड़ा जो वोट भाजपा को मिलता है। दलितों के बीच भी माले की पैठ अच्छी है जो सुदामा प्रसाद को वोट तो दे देती है लेकिन राजू यादव से बिदक जाती है। भोजपुर में पासवान समाज माले का कोर वोटर माना जाता रहा है लेकिन विशाल प्रशांत के लिए चिराग पासवान का रोड शो पासवान समाज के युवा वर्ग में सेंध लगाने में कामयाब रहा।

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