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गंगा नदी में बहाते थे नाले का पानी, पटना में इन दो बड़ी एजेंसियों पर FIR दर्ज

  • बिना उपचार दूषित पानी नाला द्वारा गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा था। दोषी संवेदक और तकनीकी सेवा देने वाली उक्त एजेंसी पर धारा 277, 290, 425, 426 और 511 के तहत केस दर्ज करने के लिए बुडको एमडी ने निर्देश दिया था।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, प्रधान संवाददाता, पटनाThu, 13 March 2025 06:45 AM
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गंगा नदी में बहाते थे नाले का पानी, पटना में इन दो बड़ी एजेंसियों पर FIR दर्ज

गंगा जल को प्रदूषित करने वाली कंपनी एमएस तोशिबा वाटर साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड एवं ईएनएस इंफ्राकॉन के खिलाफ कदमकुआं थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। नमामि गंगे के तहत सैदपुर एसटीपी संचालन में लापरवाही के मामले में बुडको एमडी अनिमेष कुमार पराशर ने यह कार्रवाई की है। सैदपुर एसटीपी के संचालन और रखरखाव की जिम्मेवारी उक्त दोनों एजेंसी पर थी। पिछले वर्ष 28 दिसंबर को एनएमजीसी की टीम ने सैदपुर एसटीपी का निरीक्षण किया था,जिसमें एसटीपी के संचालन और रखरखाव के मामले में घोर लापरवाही सामने आयी थी।

दोनों एजेंसियों द्वारा सीवेज वाटर का मानक के अनुसार उपचार नहीं किया जा रहा था। बिना उपचार दूषित पानी नाला द्वारा गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा था। दोषी संवेदक और तकनीकी सेवा देने वाली उक्त एजेंसी पर धारा 277, 290, 425, 426 और 511 के तहत केस दर्ज करने के लिए बुडको एमडी ने निर्देश दिया था। इस पर कदमकुआं थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। दोनों एजेंसियों ने नमामि गंगे परियोजना के मूल उद्श्य का उल्लंघन किया है।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगा चुका है जुर्माना

सैदपुर एसटीपी के संचालन एवं रखरखाव करने वाली दोनों एजेंसियों पर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा एक करोड़ 9 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा एक मार्च को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जुर्माने की सूचना दी गई थी। सैदपुर एसटीपी की क्षमता 60 मिलियन लीटर सीवेज प्रतिदिन उपचार करने की क्षमता है। घरेलू मल-जल का मानक के अनुसार उपचार नहीं किया जा रहा था। इसके कारण गंगा जल प्रदूषित हो रहा था। करोड़ों की इस परियोजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा था। गंगा के पानी में टोटल कॉलिफॉम और फीकल कॉलिफॉम नामक खतरनाक जीवाणुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही थी।

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