उत्तम संयम धर्म की भक्ति से भक्तिमय हुआ राजगीर
राजगीर में शुक्रवार को पर्युषण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम की आराधना की गई। जैन धर्मावलंबियों ने विभिन्न मंदिरों में सुगंध दशमी व्रत का आयोजन किया। इस धार्मिक व्रत से सभी अशुभ कर्मों का क्षय और मोक्ष...
उत्तम संयम धर्म की भक्ति से भक्तिमय हुआ राजगीर धार्मिक व्रत करने से मनुष्य के सारे अशुभ कर्मों का होता है क्षय फोटो : राजगीर पर्व : रासजगीर दिगंबर जैन मंदिर में शुक्रवार को पर्युषन पर्व पूजा अर्चना करते भक्त। राजगीर, निज संवाददाता। पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम की आराधना की गई। भाद्रपद शुक्ल दशमी को श्री राजगृह जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र के सभी मंदिरों में सुगंध दशमी व्रत पर्व मनाया गया। इसे धूप दशमी धूप खेवन पर्व भी कहा जाता है। यह व्रत पर्युषण महापर्व के छठवें दिन दशमी को मनाया गया। जैन धर्मावलंबी उदयगिरी पर्वत (तलहटी मन्दिर), जन्मभूमि मन्दिर, वीरशासन धाम तीर्थ, धर्मशाला मन्दिर, सरस्वती भवन मंदिरों में जाकर श्री जी तथा जिनवाणी माता के चरणों में भक्तों ने धूप अर्पित किया। सुगंध दशमी व्रत के बारे में भक्त रवि कुमार जैन ने बताया कि इस पर्व का जैन धर्म में काफी महत्व है। इस महापर्व को श्रावक, श्राविका, बच्चे करते हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य के सारे अशुभ कर्मों का क्षय होता है। उन्हें मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इस व्रत का फल बताया गया है। दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पांच पापों के त्याग रूप व्रत को धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, मंदिर में जाकर भगवान की पूजा, स्वाध्याय, धर्मचिंतन, श्रवण आदि में अपना समय व्यतीत करने का महत्व है। सुगंध दशमी व्रत कथा पढ़ने के साथ साथ सभी जैन जिनालयों में 24 तीर्थंकरों, पुराने शास्त्रों तथा जिनवाणी के सम्मुख चंदन की धूप अग्नि पर खेवन किया गया।
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