आरोपों के मारे थानेदार, पूरा नहीं कर पा रहे कार्यकाल
सुल्तानगंज थानेदार को चार महीने में ही लाइन हाजिर किया बरारी व जगदीशपुर से भी

भागलपुर, वरीय संवाददाता। अवैध कार्य में संलिप्तता। पैसे का लोभ। संपत्ति अर्जित करने की आकांक्षा। आम लोगों की बात नहीं सुनना। पीड़ितों को फटकार कर भगा देना। आरोपियों से मेल रखना। ये कुछ ऐसे आरोप हैं जो थानेदारों का पीछा नहीं छोड़ रहे। इन आरोपों में घिरने की वजह से आधे से ज्यादा थानेदार अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाते। या तो वे लाइन हाजिर कर दिए जाते हैं या निलंबन की तलवार का शिकार होते हैं। सुल्तानगंज सहित इन थानों के थानेदार ऐसे ही आरोप में समय से पहले नप गए गुरुवार को सुल्तानगंज थानेदार इंस्पेक्टर विवेक जायसवाल को सिर्फ चार महीने में ही लाइन हाजिर कर दिया गया।
उनपर लगातार कई गंभीर आरोप लगे थे। गुरुवार को ही अंतीकचक के थानेदार आशुतोष कुमार को छेड़खानी के आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने के आरोप में सस्पेंड किया गया। इससे पहले जगदीशपुर थानेदार इंस्पेक्टर गणेश कुमार को भी गंभीर आरोप में कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाया गया। तिलकामांझी थानेदार सुशील राज, उसी थाना के थानेदार रहे संजय कुमार सत्यार्थी, नाथनगर के थानेदार रहे मो सज्जाद हुसैन, तातारपुर के प्रभारी थानेदार सुनील झा, जगदीशपुर के थानेदार रहे प्रवीण झा, तातारपुर के थानेदार रहे अनिल कुमार साव, बरारी के थानेदार प्रमोद कुमार आदि को उनके कार्यकाल से पहले ही विभिन्न आरोप में डीआई और एसएसपी ने हटाया। बॉक्स थानेदारों के कार्यकाल को लेकर क्या है मुख्यालय का आदेश जिले के थानों के थानेदार के कार्यकाल को लेकर पुलिस मुख्यालय ने पहले ही आदेश दिया है। उसमें थानाध्यक्ष का कार्यकाल दो साल का तय किया गया है। उनके कार्यकाल पूरा होने से पहले तभी हटाया जा सकता है जब उनपर गंभीर आरोप लगे हों। आरोप जांच में सही पाए जाने पर समय से पहले थानेदार को हटाए जाने को लेकर जिलों के एसएसपी और एसपी संबंधित डीआईजी और आईजी के अनुमोदन से ऐसा कर सकते हैं। यही वजह है कि गंभीर आरोप में जब भी दो साल से पहले थानेदारों को हटाया गया है उसमें रेंज के आईजी व डीआईजी का अनुमोदन प्राप्त किया गया है।
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