बोले कटिहार: स्थायी हो रोजगार, बढ़े अवसर तो भविष्य की चिंता होगी दूर
कटिहार जिले में फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों को सामान्य जीवन जीने की उम्मीद देते हैं। हालांकि, उनकी स्थायी नियुक्ति की कमी और कम वेतन के कारण वे संघर्ष कर रहे हैं। सदर अस्पताल को छोड़कर किसी प्रखंड में...
फिजियोथेरेपिस्ट की समस्या
प्रस्तुति: मोना कश्यप
कटिहार जिले में फिजियोथेरेपिस्ट उन अनदेखे नायकों में से हैं जो दर्द से जूझते मरीजों को फिर से खड़े होने, चलने और सामान्य जीवन जीने की उम्मीद देते हैं। जिले के सदर अस्पताल को छोड़कर किसी भी प्रखंड में उनकी स्थायी नियुक्ति नहीं है, जिससे ग्रामीण मरीजों को गंभीर तकलीफों के बाद भी उचित पुनर्वास नहीं मिल पाता। वर्षों की मेहनत और लाखों रुपये खर्च कर डिग्री लेने वाले ये युवा नौकरी की कमी, कम वेतन और पेशेवर मान्यता के अभाव में संघर्ष कर रहे हैं। बेहतर नीतियों और समर्थन की सख्त जरूरत है।
कटिहार जिले के स्वास्थ्य तंत्र में एक अनदेखी कमी है – फिजियोथेरेपिस्ट। वे नायक जो दर्द से जूझते मरीजों को फिर से खड़े होने, चलने और जीने की उम्मीद देते हैं, लेकिन खुद अपने अधिकार और पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं। सदर अस्पताल को छोड़कर किसी भी प्रखंड में फिजियोथेरेपिस्ट की स्थायी नियुक्ति नहीं है, जिससे हजारों ग्रामीण मरीजों को दर्द और परेशानी से गुजरना पड़ता है। फिजियोथेरेपिस्ट न केवल शरीर को पुनर्जीवित करते हैं, बल्कि आत्मविश्वास और आशा का संचार भी करते हैं। हर फ्रैक्चर, हर मांसपेशी की कमजोरी और हर दुर्घटना के बाद उनका स्पर्श न सिर्फ दर्द को दूर करता है, बल्कि मरीजों की उम्मीदों को भी जिलाता है। फिर भी, सरकारी अस्पतालों में इनके लिए जगह नहीं, निजी नर्सिंग होम में काम के घंटे अनिश्चित और वेतन बेहद कम। न तो स्थिरता है, न ही सम्मान। फिजियोथैरेपी की डिग्री हासिल करना आसान नहीं। इसे पाने में 8 से 10 लाख रुपये तक का खर्च आता है। कई सालों की मेहनत, थकावट और कुर्बानियाँ देकर जब ये युवा अपने पेशे में आते हैं तो पाते हैं कि सरकारी नौकरी के अवसर नगण्य हैं। निजी अस्पतालों में उनका शोषण आम बात है, जहां भारी काम का दबाव और अल्प वेतन उनकी आशाओं को तोड़ देता है। उनके लिए यह एक अंतहीन संघर्ष है – अपने कौशल और मेहनत के बावजूद पहचान की कमी। आज जरूरत है कि फिजियोथेरेपिस्ट को उनका हक मिले। सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित नियुक्तियां हों। निजी नर्सिंग होम में भी न्यूनतम वेतन और सेवा शर्तों को स्पष्ट करने के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं ताकि उनका शोषण रोका जा सके। स्पोर्ट्स फिजियोथैरेपी, न्यूरोलॉजिकल फिजियोथैरेपी और कार्डियोपल्मोनरी फिजियोथैरेपी जैसे विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट के लिए भी अधिक अवसर और पहचान की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह इस अनदेखे पेशे की समस्याओं को गंभीरता से सुने और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि फिजियोथेरेपिस्ट अपने महत्वपूर्ण कार्य को पूरे सम्मान और निष्ठा के साथ निभा सकें।
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231 पंचायतों से युक्त है कटिहार जिला
16 प्रखंडों में 9 नगर पंचायत व एक है नगर निगम
40 लाख के करीब है कटिहार जिले की आबादी
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सुझाव:
1. नियमित सरकारी भर्तियाँ: सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में फिजियोथेरेपिस्ट के नियमित पद सृजित किए जाएं।
2. न्यूनतम वेतनमान सुनिश्चित हो: निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए न्यूनतम वेतन और सेवा शर्तें स्पष्ट की जाएं।
3. प्रोफेशनल मान्यता: फिजियोथेरेपिस्ट के काम को डॉक्टरों के समान सम्मान और मान्यता दी जाए।
4. विशेष प्रशिक्षण: स्पोर्ट्स, न्यूरोलॉजिकल और कार्डियोपल्मोनरी फिजियोथैरेपी जैसे विशेष क्षेत्रों में अधिक अवसर और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए।
5. समर्पित विभाग: बड़े अस्पतालों में फिजियोथैरेपी के लिए अलग विभाग बनाए जाएं ताकि उनका कार्य अधिक संगठित और प्रभावी हो सके।
शिकायतें:
1. नौकरी की कमी: सरकारी अस्पतालों में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए स्थायी भर्तियाँ वर्षों से रुकी हुई हैं।
2. कम वेतन: निजी नर्सिंग होम में काम का बोझ अधिक और वेतन बेहद कम होता है।
3. प्रोफेशनल उत्पीड़न: चिकित्सकों और प्रबंधन द्वारा उनके कार्य को कमतर आंका जाता है।
4. आर्थिक असुरक्षा: भारी खर्च से डिग्री लेने के बाद भी रोजगार में स्थिरता नहीं मिलती।
5. भविष्य की अनिश्चितता: स्पष्ट करियर पाथ और प्रोफेशनल विकास के अवसरों की कमी।
इनकी भी सुनें
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों को जीवन की नई उम्मीद देते हैं, लेकिन इनके लिए स्थायी रोजगार और उचित वेतन का अभाव है। सरकार को इनकी समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और हर प्रखंड में फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति होनी चाहिए।
दयानंद
फिजियोथेरेपी स्वास्थ्य सेवा का अहम हिस्सा है। प्रखंड स्तर पर इनकी अनुपस्थिति से मरीजों को परेशानी होती है। सरकार को नीति सुधार और स्थायी नियुक्ति की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
राकेश कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट की पहचान और सम्मान के बिना स्वास्थ्य सेवा अधूरी है। हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इनकी नियुक्ति होनी चाहिए ताकि ग्रामीण मरीजों को राहत मिल सके। सरकार को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना होगा।
फिजियोथेरेपिस्ट हमारे स्वास्थ्य तंत्र के नायक हैं, लेकिन इनका शोषण और अनदेखी चिंता का विषय है। इन्हें उचित पहचान, रोजगार और वेतन देने की जरूरत है ताकि ये बेहतर सेवा दे सकें।
सुबोध कुमार जैन
फिजियोथेरेपिस्ट स्वास्थ्य सेवा का आधार हैं, लेकिन इनके लिए न तो स्थायी नौकरी है और न ही सम्मान। सरकार को नीति सुधार और इनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
संतोष कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों की शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार को इन्हें पहचान, स्थायित्व और सम्मान देने के लिए ठोस नीतियाँ बनानी चाहिए।
ओम् प्रकाश शर्मा
फिजियोथेरेपिस्ट स्वास्थ्य सेवा का अभिन्न अंग हैं। इन्हें उचित पहचान और स्थायी रोजगार मिलना चाहिए ताकि वे अपनी सेवाएं बेहतर तरीके से दे सकें। सरकार को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
सुभाष कुमार राय
फिजियोथेरेपिस्ट की कमी से मरीजों को बहुत परेशानी होती है। सरकार को इनके लिए रोजगार के नए अवसर और स्थायी नियुक्ति की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ये बेहतर सेवा दे सकें।
आतिश रंजन
फिजियोथेरेपिस्ट हमारे स्वास्थ्य तंत्र के नायक हैं, लेकिन सरकारी नीतियों की कमी से इन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पाता। हर प्रखंड में इनकी नियुक्ति होनी चाहिए।
आजाद कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट शरीर की पुनर्स्थापना के विशेषज्ञ हैं, लेकिन इनके लिए न तो पर्याप्त नौकरी है और न ही पहचान। सरकार को इनके हक की लड़ाई में साथ देना चाहिए।
शिव कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों की उम्मीदों को जगाने वाले नायक हैं। सरकार को इनके लिए स्थायी नौकरी और बेहतर वेतन की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ये आत्मसम्मान के साथ काम कर सकें।
कृष्णा मोहन
फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण है, लेकिन इनके संघर्ष और समस्याएं अनदेखी हैं। सरकार को इनके लिए रोजगार के बेहतर अवसर देने चाहिए।
शिवानी गुप्ता
फिजियोथेरेपिस्ट हमारे स्वास्थ्य तंत्र के आधार हैं, लेकिन इनकी उपेक्षा चिंता का विषय है। हर प्रखंड में इनकी नियुक्ति होनी चाहिए ताकि ग्रामीण मरीजों को राहत मिल सके।
प्रतिभा सिंह
फिजियोथेरेपिस्ट स्वास्थ्य सेवा का अहम हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नीतियों की कमी से इन्हें उचित पहचान नहीं मिल पाती। सरकार को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
मनीष कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों को नई जिंदगी देते हैं, लेकिन इन्हें रोजगार और सम्मान की कमी से जूझना पड़ता है। सरकार को इनके लिए स्थायी नौकरी और बेहतर वेतन की व्यवस्था करनी चाहिए।
पवन कुमार हिमांशु
फिजियोथेरेपिस्ट हमारे स्वास्थ्य तंत्र के अनदेखे नायक हैं। इन्हें स्थायी नौकरी और सम्मान मिलना चाहिए ताकि वे अपने पेशे में निष्ठा से काम कर सकें।
राज रंजन कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों की उम्मीदों को पुनर्जीवित करने वाले नायक हैं। सरकार को इनके लिए स्थायी रोजगार और बेहतर वेतन की व्यवस्था करनी चाहिए।
सुमित कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट स्वास्थ्य सेवा का अहम हिस्सा हैं, लेकिन इन्हें उचित पहचान और स्थायित्व नहीं मिल पाता। सरकार को इनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए।
धनंजय झा
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों की उम्मीदों को पुनर्जीवित करने वाले नायक हैं, लेकिन इन्हें रोजगार और सम्मान की कमी से जूझना पड़ता है। सरकार को इनके लिए ठोस नीतियाँ बनानी चाहिए।
सोनू कुमार साह
फिजियोथेरेपिस्ट स्वास्थ्य सेवा का अहम हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नीतियों की कमी से इन्हें पर्याप्त पहचान नहीं मिल पाती। सरकार को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
ललित कुमार
फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों की शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार को इनके लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए ताकि इनका शोषण न हो।
बोले जिम्मेदार
फिजियोथेरेपिस्ट हमारे स्वास्थ्य तंत्र के ऐसे नायक हैं जो मरीजों को दोबारा सामान्य जीवन जीने की उम्मीद देते हैं। कटिहार जैसे क्षेत्रों में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण है, जहां संसाधनों की कमी है। मैं मानता हूँ कि फिजियोथेरेपिस्ट को उनका उचित सम्मान और अवसर मिलना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में नियमित नियुक्तियाँ, न्यूनतम वेतन की गारंटी और पेशेवर मान्यता उनके अधिकार हैं। राज्य सरकार को इनकी समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और ठोस नीतियां बनानी चाहिए, ताकि ये समर्पित पेशेवर पूरे सम्मान और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
तार किशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम सह विधायक, कटिहार
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