Unlicensed Clinics Endanger Lives in Kaimur District Health Department Takes Action बिना अवधि विस्तार के जिले में 81 अस्पताल हो रहे संचालित, Bhabua Hindi News - Hindustan
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बिना अवधि विस्तार के जिले में 81 अस्पताल हो रहे संचालित

कैमूर जिले में दर्जनों निजी अस्पताल बिना निबंधन और मानक के चल रहे हैं। इनमें कई अस्पतालों में बिना डिग्री वाले लोग चिकित्सकीय कार्य कर रहे हैं, जिससे मरीजों की जिंदगी खतरे में है। स्वास्थ्य विभाग ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआTue, 13 May 2025 09:06 PM
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बिना अवधि विस्तार के जिले में 81 अस्पताल हो रहे संचालित

निजी क्लीनिकों में बिना डिग्री वाले लोग कर रहे हैं चिकित्सकीय कार्य, पकड़े जाने पर स्वास्थ्य विभाग कर सकता है दंडित बिना अनुभव के इलाज करनेवालों से मरीजों की जिंदगी खतरे में दर्जनों निजी क्लीनिक चल रहे बिना निबंधन व मानक पूरा किए ग्राफिक्स 86 निजी अस्पताल हैं जिले में निबंधित (पेज तीन की लीड खबर पड़ताल) भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कैमूर में लाइसेंस का बिना अवधि विस्तार के 75 निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। दर्जनों ऐसे अस्पताल हैं, जिसके संचालक द्वारा उसका न निबंधन कराया गया है और न मानक के अनुसार उसमें मरीजों के लिए सुविधा मुहैया कराई जा रही है।

कुछ ऐसी भी निजी अस्पताल हैं, जिसमें बिना डिग्री वाले व्यक्ति चिकित्सकीय कार्य कर रहे हैं। ऐसे अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे अस्पतालों की बीच-बीच में जांच की जा रही है। कुछ पर मुकदमा और विभागीय कार्रवाई भी हुई है। कैमूर जिले के विभिन्न प्रखंडों में बिना निबंधन व मानक के दर्जनों निजी अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं। कुछ अस्पतालों में वैसे लोग भी चिकित्सकीय कार्य कर रहे हैं, जिनके पास ऐसा करने के लिए कोई डिग्री नहीं है। ऐसे अस्पताल न सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्र में भी हैं। इन अस्पताल के संचालकों द्वारा दलाल भी रखे गए हैं, जो रुपयों के चंद सिक्कों की लालच में गंभीर मरीजों को भी इनके पास पहुंचा देते हैं और वह भी उनका इलाज शुरू कर देते हैं, जिससे मरीजों की जान पर आफत आन पड़ती है। जब मरीजों की हालत बिगड़ती है तब उन्हें रेफर कर दिया जाता है। तब तक गरीब मरीजों की जेब ढीली हो चुकी होती हैं और वह समझ नहीं पाते हैं कि क्या करें? तब उन्हें कर्ज लेकर इलाज कराना पड़ता है। ऐसे में कभी-कभी मरीज की जान तक चली जाती है। कुछ अस्पतालों में तो बिना मूर्छक व सर्जन के ऑपरेशन तक किए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में मरीजों की सुविधा का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। ऐसे ही कुछ अस्पतालों के कारण बेहतर सेवा देने वाले अस्पतालों की भी बदनामी हो रही है। फिर भी खासकर ग्रामीण क्षेत्र के मरीज सबसे पहले झोला छाप डॉक्टर के पास ही इलाज कराने के लिए जा रहे हैं। रामपुर प्रखंड के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गर्भवती की मौत हो गई। तब स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल सील कर मुकदमा किया था। रामगढ़ में भी इस तरह की घटना हुई थी। सीएस ने एसीएमओ को दिया है जांच का आदेश सीएस डॉ. चंदेश्वरी रजक ने जिले के विभिन्न प्रखण्डों में अवैध रूप से संचालित निजी अस्पतालों की जांच का आदेश दिया है। सीएस के पत्र के आलोक में एसीएमओ डॉ. शान्ति कुमार मांझी ने जिले के सभी प्रखंडों में स्थापित सरकारी अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अपने क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित प्राइवेट अस्पतालों की सूची भेजने का निर्देश जारी किया है। एसीएमओ के आदेश पर जिले के दुर्गावती पीएचसी के प्रभारी ने आठ व भगवानपुर पीएचसी के प्रभारी ने 19 अवैध प्राइवेट अस्पतालो की सूची भेजी है। लेकिन, अन्य प्रखण्डों के प्रभारी ने अब तक अवैध अस्पतालों की सूची नही भेजी है, जिसके लिए रिमांडर भेजी गयी हैं। कैमूर जिले में 86 निजी अस्पताल हैं रजिस्टर्ड भभुआ। कैमूर जिले के विभिन्न प्रखंडों में 86 निजी अस्पताल रजिस्टर्ड हैं। इन अस्पतालों के अलावा अन्य अवैध हैं। सीएस कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, भभुआ अनुमंडल में 41 निजी अस्पताल, क्लीनिक, एक्स-रे सेन्टर व जांच घर रजिस्टर्ड है। जबकि मोहनियां अनुमण्डल में 45 निजी प्राइवेट अस्पताल रजिस्टर्ड हैं। जिले के भभुआ व मोहनियां अनुमण्डल के 86 प्राइवेट अस्पताल संचालक सीएस कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन कराकर अस्पताल संचालन कर रहे हैं। लापरवाही व अधिक बिल की शिकायत बिना निबंधन वाले अस्पतालों में संदिग्ध चिकित्सीय लापरवाही और अत्यधिक बिल की चर्चा अक्सर सामने आती रहती है। लोगों का मानना है कि ऐसे अस्पताल उपचार में खर्च के नाम पर लूट-खसोट कर रहे हैं। इन अस्पतालों के मरीजोंं की सबसे बड़ी परेशानी स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता, मापदंड और कीमत को निर्धारित करने वाले नियमों का पूरी तरह अभाव होना है। हालांकि निबंधित अस्पतालों में सफाई, अनुशासन, समय की कीमत, मरीजों की सुविधाएं, त्वरित इलाज, इमरजेंसी सेवा का ख्याल रखा जाता है। कोट जिले में संचालित निजी अस्पतालों की जांच के लिए एसीएमओ को पत्र लिखा गया है। एसीएमओ ने जिले के निजी अस्पतालों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिया है। आदेश के आलोक में अब तक दुर्गावती व भगवानपुर से निजी अस्पताल की जांच रिपोर्ट आई है। अन्य प्रखंडों से रिपोर्ट की मांग की गयी है। डॉ. चण्डेश्वरी रजक , सिविल सर्जन,कैमूर फोटो- 13 मई भभुआ- 5 कैप्शन- सदर अस्पताल स्थित सीएस कार्यालय में फाइलों का निष्पादन करते कार्यालयक सहायक व अन्य।

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