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Hindi Newsबिहार न्यूज़भभुआTraining for Workers and Technicians in Madhya Pradesh to Boost Employment through Chirounji Processing Unit

कैमूर के युवा संचालित करेंगे प्रोसेसिंग व पैकेजिंग यूनिट (पेज चार की लीड खबर)

मध्य प्रदेश में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने श्रमिकों और टेक्निशियन के लिए प्रशिक्षण की योजना बनाई है। चिरौंजी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट को कैमूर में स्थापित किया गया है, जिससे वनवासियों को रोजगार...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआThu, 19 Sep 2024 03:52 PM
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श्रमिकों व टेक्निशियन को मध्य प्रदेश में प्रशिक्षण दिलाने के लिए वन प्रमंडल पदाधिकारी लिखेंगे विभाग को पत्र यूनिट की मशीन में खराबी आने पर इंजीनियर बुलाकर कराया था ठीक इस यूनिट के नियमित संचालित होने से वनवासियों को मिलेगा रोजगार भभुआ, कार्यालय संवाददाता। वन विभाग के कार्यालय परिसर में स्थापित चिरौंची प्रोसेसिंग व पैकेजिंग यूनिट को कैमूर के ही युवा संचालित करेंगे। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से मध्य प्रदेश में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसको लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम विभाग को पत्र लिखेंगे। पूछने पर उन्होंने बताया कि पिछले माह कामगार व टेक्निशियन से इस यूनिट को चालू कराया गया था। जानकारी कम होने की वजह से मशीन में तकनीकी खराबी आ गई थी। मध्य प्रदेश से इंजीनियर बुलाकर मशीन को ठीक कराया गया। डीएफओ ने बताया कि जब यहां के लोगों को प्रशिक्षण मिल जाएगा, तब इस यूनिट का संचालन नियमित होगा। इससे यहां के वनवासियों को रोजगार मिलेगा। वैसे भी अधौरा के जंगलों में पियार के काफी पेड़ हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि बड़गांव के भरुआट, लोहरा के रोह, बड़वान के कंजियारी खोह, गुल्लू, पंचमाहुल, आथन, सारोदाग, सड़की, मड़पा, डुमुरका, चाया, चफना आदि गांवों के पहाड़ व जंगल में काफी संख्या में पियार के पेड़ हैं। लेकिन, बारिश के पानी की धार से मिट्टी के कटाव होने से कुछ इलाकों के पियार के पेड़ सूखने लगे हैं। चिरौंजी का स्वाद व लाभ काजू की तरह होता है, सिर्फ आकार में अंतर दिखता है। नारायण खरवार व श्यामदेव उरांव ने बताया कि चेनारी में चिरौंजी का बड़ा व्यापार है। यहां के लोग बड़वान के रास्ते पियार को चेनारी ले जाते हैं। वहां के कारोबारी उसे नाद में फुलाते हैं। फिर बोरिंग चालू कर उसके छिलका हटाते हैं। गुठली को मशीन में डालते हैं। गुठली का अवशेष अलग और चिरौंजी अलग हो जाती है, जहां से पैकेट तैयार कर दिल्ली, लखनऊ, बनारस, कोलकाता आदि की मंडियों में भेजी जाती है। कमलेश उरांव ने बताया कि पके हुए पियार को इकट्ठा करते हैं। उसे सूखाने के बाद पानी में 24 घंटा भींगोते हैं। फिर उसके उपरी हिस्से को हटाकर गुठली निकालते हैं। व्यापारी उनसे 100 रुपए किलो पियार व 150 रुपए किलो उसकी गुठली की खरीदारी करते हैं। लेकिन, उसमें से चिरौंजी निकालकर उसे दसगुना दाम पर बाजार में बेचते हैं। बाजार में 1500 किलो बिकती है चिरौंजी पियार के फल के अंदर की गुठली को फोड़कर उसमें से चिरौंजी निकाली जाती है, जो खुदरा बाजार में 1500 रुपए व थोक में 1200 रुपए किलो बिकती है। बाजार में इसकी कीमत ज्यादा है। लेकिन, इसके व्यापारी वनवासियों को चंद रुपए देकर मजदूरों से पियार की गुठली की खरीदारी कर रहे हैं। कुछ लोग तो इसकी तस्करी भी करते हैं। जब वन विभाग की यह यूनिट नियमित रूप से संचालित होने लगेगी और वन विभाग ग्रामीणों को कच्चा माल मुहैया कराने लगेगा, तब यहां के लोगों को रोजगार मिलने लगेगा। भारतीय पकवानों में होता है उपयोग जानकार बताते हैं कि चिरौंजी का उपयोग भारतीय पकवानों में किया जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, फाइबर, विटामिन, सुक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। पहले यहां के वनवासी व अन्य लोग पियार के पके फल को खाकर उसकी गुठली फेंक देते थे। लेकिन, अब उस फेंकी जानेवाली गुठली की कीमत को वह समझने लगे हैं। फिर भी वह व्यापारियों के हाथों ठगे जा रहे हैं। इसी गुठली के अंदर चिरौंजी होती है। अधौरा के वन क्षेत्र में प्रकृति के रूप में वर्षों से पियार के पेड़ लगे हैं। संग्रहण एवं विपणन से मिलेगा अच्छा दाम पियार की गुठली के संग्रहण एवं विपणन पर ध्यान देकर सरकार वनवासियों को उचित कीमत दिला सकती है। कुछ लोग गुठली को चक्की में डालकर उसमें से चिरौंजी निकालते हैं और कुछ लोग हथौड़ी से तोड़कर ऐसा करते हैं। इसमें ज्यादा श्रम व समय लगता है। लेकिन, यूनिट चालू हो जाने से घंटों का काम मिनटों में निबटेगा। चिरौंजी का उपयोग रसमलाई, मिठाइयों, खीर, सेंवई, हलवा, रसपुआ इत्यादि में किया जाता है। चिरौंजी वर्षभर उपयोग में आने वाला पदार्थ है, जिसे संवर्द्धक और पौष्टिक जानकर सूखे मेवों में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। कोट अधौरा के वन विभाग कार्यालय परिसर में चिरौंजी प्रोसेसिंग व पैकेजिंग यूनिट स्थापित है। पिछले माह इसे कामगारों व कुछ तकनीकी जानकारों की मदद से चालू कराया गया था। अनुभव कम होने से मशीन में तकनीकी खराबी आ गई। मध्य प्रदेश के इंजीनियर को बुलाकर ठीक कराया गया। अब यहीं के इच्छुक व जानकार युवाओं को ट्रेनिंग देकर इसे चालू कराने के लिए विभाग को पत्र लिख रहा हूं। चंचल प्रकाशम, डीएफओ, कैमूर फोटो- 19 सितंबर भभुआ- 1 कैप्शन- अधौरा के वन विभाग के कार्यालय परिसर में स्थापित चिरौंजी प्रोसेसिंग व पैकेजिंग यूनिट।

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