रामगढ़ उपचुनाव: RJD की लालटेन या बीजेपी का कमल, सीट बचाने और छीनने की चुनौती
रामगढ़ सीट से इंडिया गठबंधन के घटक दल राजद से अजीत कुमार सिंह, एनडीए गठबंधन के भाजपा से अशोक कुमार सिंह, बसपा से सतीश सिंह, जन सुराज पार्टी से सुशील कुशवाहा चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। आरजेडी के सामने सीट बचाने और बीजेपी के सामने छीनने की चुनौती है।
रामगढ़ उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है। यहां से राजद, भाजपा, बसपा, जन सुराज सहित अन्य दलों और निर्दलीय को मिलाकर 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। राजद के सामने 2020 में जीती हुई अपनी सीट पर फिर से काबिज होने की चुनौती है। भाजपा वर्ष 2015 के इतिहास को दोहराने की जद्दोजहद से गुजर रही है। वर्ष 2020 के चुनाव में बसपा को यहां से मात्र 189 वोट से हारना पड़ा था। इस हार को वह इस बार जीत में तब्दील करने के लिए पसीना बहा रही है। जन सुराज पार्टी अपने प्रत्याशी को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रामगढ़ विस क्षेत्र से मिले 35568 मत को प्लस कर जीत में कन्वर्ट करने के लिए लड़ाई की धार को मोड़ने की फिराक में है।
समाजवादियों का गढ़ कहे जानेवाले रामगढ़ में पहली बार वर्ष 2015 में भाजपा ने कमल खिलाया था। लेकिन, वर्ष 2020 के चुनाव में भाजपा तीसरे पायदन पर चली गई। इस बार फिर बीजेपी से अशोक सिंह मैदान में हैं। वर्ष 2020 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व विधायक अंबिका सिंह के भतीजे सतीश सिंह पर पार्टी ने दांव खेला है। रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में 2.90 लाख मतदाता हैं, जो प्रत्याशियों व उनके दल की मानसिकता भली भांति परिचित हैं। चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी मतदाताओं के बीच हैं। वह उन्हें रिझाकर कैसे अपने खेमे में करने की कोशिश कर रहे हैं यह सभी देख व सुन रहे हैं।
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए क्षेत्र में हलचल मची हुई है। सभी दल अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नामजदगी का पर्चा दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब संविक्षा, नाम वापसी व चुनाव-चिन्ह आवंटित करने की बारी है। यह काम भी 30 सितंबर तक पूरा हो जाएगा। फिर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए प्रत्याशियों के पास मात्र 13 दिन का समय बच जाएगा। लेकिन, इस बीच धनतेरस, दीपावली, भाई दूज, छठ महापर्व भी है। ऐसे में वोटरों को भुनाने में प्रत्याशियों को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
सभी के अपनी ढफली अपना राग
विधानसभा उपचुनाव में कोई पार्टी गढ़ बचाने तो कोई कुर्सी झटकने के लिए जद्दोजहद करता दिख रहा है। वर्चस्व कायम करने के लिए नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे हैं। विपक्षी पार्टियां क्षेत्र में विकास के नाम पर सरकार को कोस रही हैं। जबकि भाजपा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल, सड़क जैसी व्यवस्था में हुए परिवर्तन और समाज को मिले इसके फायदे को गिना रही है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किए गए सामाजिक बदलाव को याद दिलाने से भी प्रत्याशी चूक नहीं रहे हैं।
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए क्षेत्र में हलचल मची हुई है। सभी दल अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नामजदगी का पर्चा दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब संविक्षा, नाम वापसी व चुनाव-चिन्ह आवंटित करने की बारी है। यह काम भी 30 सितंबर तक पूरा हो जाएगा। फिर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए प्रत्याशियों के पास मात्र 13 दिन का समय बच जाएगा। लेकिन, इस बीच धनतेरस, दीपावली, भाई दूज, छठ महापर्व भी है। ऐसे में वोटरों को भुनाने में प्रत्याशियों को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
सभी के अपनी ढफली अपना राग
विधानसभा उपचुनाव में कोई पार्टी गढ़ बचाने तो कोई कुर्सी झटकने के लिए जद्दोजहद करता दिख रहा है। वर्चस्व कायम करने के लिए नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे हैं। विपक्षी पार्टियां क्षेत्र में विकास के नाम पर सरकार को कोस रही हैं। जबकि भाजपा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल, सड़क जैसी व्यवस्था में हुए परिवर्तन और समाज को मिले इसके फायदे को गिना रही है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किए गए सामाजिक बदलाव को याद दिलाने से भी प्रत्याशी चूक नहीं रहे हैं।
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कठिन परीक्षा की डगर आसान नहीं
रामगढ़ सीट से इंडिया गठबंधन के घटक दल राजद से अजीत कुमार सिंह, एनडीए गठबंधन के भाजपा से अशोक कुमार सिंह, बसपा से सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव, जन सुराज पार्टी से सुशील कुशवाहा चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। यी सभी चुनाव मैदान में एक-दूजे को टक्कर देने के लिए तैयार हैं। चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के साथ दिग्गजों की भी कठिन परीक्षा होनी है, जिन्हें साबित करना होगा कि उनके साथ जन समर्थन है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी, मतदाताओं को रिझाने के लिए राजनीतिक दल पूरी ताकत झोंक झोकेंगे। नेताओं का दौरा तेज हो जाएगा।
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