भूख से जंग, अब जमीन के लिए जद्दोजहद; चंपारण में लोगों का सबकुछ निगल गया बाढ़, 1950 घर तबाह
घर में रखे राशन भींग जाने के कारण एक ओर जहां बाढ़ पीड़ितों को खाने के लाने पड़ गए हैं तो दूसरी ओर कागजात के बह जाने या भींग जाने के बाद लोगों को अब भूमि सर्वे की चिंता सताने लगी है।
बिहार के पश्चिमी चंपारण में बाढ़ पीड़ितो की परेशानी कम होने का नाम नही ले रहा। गंडक ने घर में रखे अनाज के साथ जमीन के कागजात भी निगल लिया। अब भूख के साथ जमीन की जद्दोजहद में फंसे हैं बाढ़ पीड़ित। मामला गंडक पार के मधुबनी प्रखंड के चिउराही का हैं। जहां सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण के घर में रखे राशन के साथ साथ जमीन के कागजात भी बाढ़ के पानी में बह गए या भींग गए है।
घर में रखे राशन भींग जाने के कारण एक ओर जहां बाढ़ पीड़ितों को खाने के लाने पड़ गए हैं तो दूसरी ओर कागजात के बह जाने या भींग जाने के बाद लोगों को अब भूमि सर्वे की चिंता सताने लगी है। चिउराही के लोगों को सुबह खाने के बाद शाम के लिए राशन की जुगाड़ में कट रहे दिन। बाढ़ में तो लोग जान बचाकर लोग भाग तो गए लेकिन सारा सामान पानी में भींग गया। इसमें वह कागजात भी भींग गए जिसके लिए कई दिनों की मशक्कत कर जमीन सर्वे की तैयारी के लिए जुटाए थे। 4 दिनों तक कैंपों में रहने के बाद जब लोग घर लौटे तो खाने पीने के सामानों के साथ घर में रखा कागजात भी बर्बाद हो गया था।बाढ़ की तबाही ने क्षेत्र के 1950 घरों के लोगों को दोहरी चोट पहुंचाई है।
अब एक तरफ पूरी गृहस्थी बसाने की चिंता है तो दूसरी तरफ जमीन सर्वे के लिए दोबारा कागज जुटाने की टेंशन है। ग्रामीण महेश साह प्रलय वाली रात की घटना को याद करते हुए कहते हैं, जब उनका बिछावन भीगने लगा, तब उन्हें एहसास हुआ कि पानी उनके घर में आ गया है। वह किसी तरह से जान बचाकर भागे, लेकिन सब कुछ बह गया। यहां तक कि उनका घर भी टूट गया। बिंदेश्वरी चौधरी ने बताया चार दिन बाद जब वह घर लौटे, तो वहां कुछ भी नहीं था। उनके सामान कीचड़ में दबे हुए थे या बह चुके थे। खाने-पीने का कोई सामान नहीं बचा था। घर में बक्से में रखा महत्वपूर्ण कागजात भी पानी में खराब हो गया था।
सिसही पंचायत के मनोज ठाकुर ने कहा कि रात 12 बजे अचानक बाढ़ आई और सब कुछ बह गया। स्थिति इतनी भयावह थी कि खुद को बचाना मुश्किल हो गया। ऐसे में सामान की चिंता कौन करता। अब उनके पास न तो कोई कागजात हैं और न ही उनका कोई निशान।फूलमती देवी का कहना है कि अब वह पूरी तरह से सरकार की मदद पर निर्भर हैं।क्योंकि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है। वही कुछ लोगों के कागजात बचे हुए हैं। लेकिन वे भी पानी में भीग चुके हैं। इन लोगों के पास अब केवल उम्मीदें ही बची हैं कि सरकार और प्रशासन उनकी मदद करेंगे और उनके नुकसान की भरपाई की जाएगी।
इस बाबत मधुबनी प्रखंड के सीओ नंदलाल राम कहना है जिन लोगो का जमीन संबंधी कागजात खो गया है। उन्हे एफआईआर कराना चाहिए। उन्होने कहा कि भू स्वामी के द्वारा अगर आवेदन प्राप्त होता हैं तो जो न्याय संगत होगा उस पर कार्य किया जायेगा।