Ancient Civilization Remains Discovered in Amarpur Bihar Call for Preservation अमरपुर में खुदाई में मिल रहे पुरातात्विक अवशेष के संरक्षण का है लोगों को इंतजार, Banka Hindi News - Hindustan
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अमरपुर में खुदाई में मिल रहे पुरातात्विक अवशेष के संरक्षण का है लोगों को इंतजार

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- विपिन कुमार सिंह अठमाहा गांव में तालाब की खुदाई में मिले पुरातात्विक अवशेष के संरक्षण को लेकर ग्रामीणों में

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाThu, 15 May 2025 05:03 AM
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अमरपुर में खुदाई में मिल रहे पुरातात्विक अवशेष के संरक्षण का है लोगों को इंतजार

अमरपुर (बांका), निज संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर पिछले कई वर्षो से पुरातात्विक अवशेष मिल रहे हैं, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि यह क्षेत्र पौराणिक सभ्यताओं का क्षेत्र रहा है। यह बात पुरातत्वविदों ने भी मानी है तथा दावा किया है कि बुद्ध काल या कुषाण काल से भी पुरानी सभ्यता इस क्षेत्र में थी। लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार, प्रतिनिधि या अधिकारी इसको संरक्षित करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाने से परहेज करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि ऐसी पौराणिक सभ्यता एवं अवशेष देश के ही दूसरे राज्यों में मिलते या फिर विदेशों में मिलते तो ना सिर्फ इसे संरक्षित किया जाता बल्कि इसकी खुदाई कर इसकी वास्तविकता भी जानी जाती।

लेकिन बिहार में खास कर बांका जिले में इतने महत्वपूर्ण अवशेष मिलने के बाद भी इस पर किसी का ध्यान नहीं है। यदि यहां भी खुदाई की जाए तो बांका जिले का नाम विश्व स्तर पर जा सकता है। मालूम हो कि अमरपुर क्षेत्र के कजरा गांव में वर्ष 13 में सबसे पहले लाल एवं काले मृदभांड मिले थे। अमरपुर के तात्कालीन अंचल निरीक्षक सतीश कुमार ने इसकी पहचान की थी। बड़ी संख्या में मिले मृदभांडों ने उनकी खोज की लालसा बढ़ा दी तथा वह गांव के बाहर स्थित घूमनी पहाड़ी पर चले गए। जहां उन्हें एक हाइड्रोलिक होल दिखा। उन्होंने भागलपुर के संग्राहालयाध्यक्ष एवं पटना तक के इतिहासकारों को बुलाया। सभी लोग इस पहाड़ी पर बने हाइड्रोलिक होल को देखते ही भौंचक रह गए तथा सभी ने यह दावा कर दिया कि इस पहाड़ी से होकर कभी ना कभी समुद्र बहता था। इतनी बड़ी खोज के बावजूद जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तथा यह मुद्दा दब गया। उस समय यहां पाषाण कुल्हाड़ी जिसकी आयु पचास हजार साल आंकी गई थी, भी मिला था। इसके बाद भदरिया गांव में चांदन नदी के किनारे छठ पर्व के अवसर पर वर्ष 20 में ईंट की लंबी दीवार मिली थी। यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। उस समय जिला प्रशासन ने भी काफी सहयोग किया। इसका नतीजा यह हुआ कि पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की टीम यहां पहुंच गई तथा उन्होंने ईंट की साइज देख कर यह कहा कि यह किसी पौराणिक सभ्यता के अवशेष हैं। इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो-दो बार भदरिया गांव आकर इसका निरीक्षण किया। सरकार के निर्देश पर करोड़ों रुपए खर्च कर चांदन नदी की धारा मोड़ी गई। इसके बाद आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों द्वारा नदी के अंदर की जांच की गई। आईआईटी कानपुर द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर बिहार विरासत विकास समिति को नदी में मिले पुरातात्विक अवशेषों की खुदाई की जिम्मेदारी दी गई। कुछ दिनों तक नदी की खुदाई का काम हुआ तथा इसमें कई महत्त्वपूर्ण चीजें मिलीं। हालांकि खुदाई का कार्य देख रहे अधिकारी ने इसका ब्यौरा देने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि इस जगह पर काफी पुरानी सभ्यता विकसित थी। करीब एक वर्ष से इस जगह की खुदाई का काम बंद पड़ा है। इधर करीब एक सप्ताह पूर्व गोरगामा पंचायत के अठमाहा गांव में एक तालाब की खुदाई के दौरान बड़ी-बड़ी ईंटों से बनी दीवार मिली। ग्रामीणों की नजर में भदरिया के ईंट की दीवार कौंध गई। इसके बाद अखबारों में इसकी खबर प्रकाशित हुई। खबर छपते ही जिले के वरीय उप समाहर्ता एवं अमरपुर के बीडीओ ने इस स्थल का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट जिला मुख्यालय तथा पुरातत्व विभाग को देने की बात कही। लेकिन इसके बाद अब तक यहां कोई पदाधिकारी इस जगह का निरीक्षण करने नहीं आए हैं। जिससे ग्रामीणों ने क्षोभ व्याप्त है। अठमाहा के ग्रामीणों ने तालाब में मिले ईंट की दीवार के संरक्षण तथा इसकी खुदाई को लेकर जिला प्रशासन से मांग करने की बात कही है। विधायक सह भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने कहा कि अमरपुर में मिल रहे पौराणिक सभ्यता से यह क्षेत्र काफी प्राचीन माना जा सकता है।यह गर्व की बात है। भदरिया के पुरातात्विक स्थल को संरक्षित किया गया है। भारत सरकार से इसमें कुछ राशि मिली भी मिली है। अठमाहा गांव में मिले पुरावशेषों के संरक्षण के लिए कला संस्कृति विभाग को लिखा जाएगा।

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