Challenges Faced by Fencing Players in Bihar Lack of Resources and Facilities तलवार, ड्रेस व मैट की सुविधाएं मिले तो राष्ट्रीय स्तर पर चमकेंगे खिलाड़ी, Bagaha Hindi News - Hindustan
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तलवार, ड्रेस व मैट की सुविधाएं मिले तो राष्ट्रीय स्तर पर चमकेंगे खिलाड़ी

बिहार में तलवारबाजी के खिलाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें आवश्यक संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खेलो इंडिया से समर्थन मिलने के बावजूद, खिलाड़ियों के लिए तलवार, ग्लव्स, और...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाFri, 16 May 2025 12:46 AM
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तलवार, ड्रेस व मैट की सुविधाएं मिले तो राष्ट्रीय स्तर पर चमकेंगे खिलाड़ी

जिले में तलवारबाजी करने वाले खिलाड़ियों की कमी नहीं है। काफी कम उम्र के बच्चे तलवारबाजी सीखना चाहते हैं। खेलो इंडिया से खिलाड़ियों को मंच तो मिला है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए सुविधाओं का अभाव है। नगर के खेल भवन में एक हॉल में तलवारबाजी का प्रशिक्षण दिया जाता है। तलवारबाजी संघ द्वारा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। अपनी मेहनत की बदौलत पांच खिलाड़ियों के दल ने एसजीएफआई में इंट्री ले ली है। तलवारबाजी संघ के सचिव संदीप राय ने बताया कि पांच खिलाड़ी जूही कुमारी, पूजा, खुशबू, अंकिता और विवेक का चयन एसजीएफआई के लिए हो गया है।

जबकि जूही कुमारी का चयन खेलो इंडिया के बिहार टीम में हुआ है। हालांकि विभाग की ओर से अभी तक पूरे संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। खिलाड़ी जूही कुमारी बताती है कि वह संघ के सदस्यों के बताये निर्देश और इंटरनेट मैच देखकर स्टेट लेवल तक पहुंच गई है। संघ के सचिव ने बताया कि तलवारबाजी में तीन तरह के तलवार का प्रयोग होता है। इपी, फयॉल और सेबर तलवार का प्रयोग तलवारबाजी में होता है। विभाग द्वारा अब तक तीनों को मिलाकर 16 तलवार उपलब्ध कराया गया है। लेकिन यहां खिलाड़ियों की संख्या ज्यादा है। इससे खिलाड़ियों के लिए तलवार कम पड़ जा रहा है। खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने में परेशानी होती है। श्वेता कुमारी ने बताया कि हमारे लिए ग्लव्स और मास्क की भी कमी है। संघ के अध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि बिहार राज्य खेल प्राधिकरण द्वारा जिला प्रशासन को तलवार दिया गया। लेकिन ड्रेस उसकी अपेक्षा कम मिले हैं। ड्रेस नहीं होने से खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाते हैं। इस खेल में इलेक्ट्रॉनिक स्कोर बोर्ड की सबसे ज्यादा जरूरत है। खिलाड़ी ओम राय ने बताया कि जब तलवार से वार होता है तब इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड में बत्ती जलती है इससे प्टाइंट काउंट होता है। स्कोर बोर्ड जलने या नहीं जलने पर ही प्वाइंट के साथ खेल में जीत-हार तय होती है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को प्वाइंट का पता तक नहीं चल पाता है। खिलाड़ी अक्षत कुशवाहा ने बताया कि जिस मैट पर इस खेल का अभ्यास होता है, वह एल्युमिनियम का बना होता है। उसे पीसरे कहा जाता है। यह मैट यहां नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को कठिनाई होती है। जब तक इस तरह की सुविधा हमें नहीं मिल पाएगी। तब तक आगे बढ़ने में परेशानी होगी। इधर खिलाड़ियों में ख्याति कुमारी, अनन्या कुमारी ने बताया कि हम सभी खिलाड़ी शाम के समय यहां पर प्रैक्टिस करने आते हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि साल में दो-तीन महीना ही हम प्रैक्टिस कर पाते हैं। ज्यादातर समय यह हॉल बंद रहता है। इसमें मैट्रिक और इंटर के बार कोडिंग का काम होता है। संघ के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार ने बताया कि हमारे जिले के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है जब हमें संसाधन और सुविधाएं मिलेंगी तो यहां से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी मैडल लाएंगे। प्रस्तुति गौरव कुमार --खेल उपकरणों के लिए प्राधिकरण को भेजा गया है पत्र : विजय पंडित जिला खेल पदाधिकारी विजय कुमार पंडित ने बताया कि बिहार राज्य खेल प्राधिकरण द्वारा जिला के खेल विभाग को तलवारबाजी से जुड़े जितने भी संसाधन दिए गए थे सभी संसाधन जिले के खिलाड़ियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। यहां तक की जिला खेल भवन का हॉल भी उन्हें दिया गया है। जहां पर खिलाड़ी नियमित प्रैक्टिस करते हैं। खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे है। हां संसाधन थोड़े काम जरूर हैं लेकिन संसाधनों के लिए बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को लिखा गया है। वहां से खेल का सामान उपलब्ध होने के साथ ही खिलाड़ियों को तलवारबाजी से जुड़े जितने भी संसाधन आएंगे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। खिलाड़ियों की समस्या को दूर करने को लेकर मैं व्यक्तिगत रूप से तत्पर रहता हूं। ताकि खिलाड़ियों को परेशानी नहीं हो। खिलाड़ियों को सभी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। -सुझाव 1. खेल विभाग का हॉल पूरे साल के लिए खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध कराया जाए। यहां दूसरी गतिविधि नहीं हो। 2. खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए पीसरे की व्यवस्था की जाए। इससे खिलाड़ियों को कोई दिक्कत नहीं हो। 3. इलेक्ट्रॉनिक स्कोर बोर्ड की व्यवस्था की जाए। जिससे वास्तविक स्कोर का पता लग सके। 4. तलवार की संख्या और बढ़ाई जाए फिलहाल काफी कम संख्या में खिलाड़ियों को तलवार मिले हैं। 5. मास्क और ग्लव्स की संख्या भी बढ़ाई जाए। खेल के प्रैक्टिस में इसकी अहमियत होती है। -शिकायतें 1. तलवारबाजी के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्कोर बोर्ड की व्यवस्था नहीं है। इसके बिना जीत-हार तय करने में समस्या होती है। 2. तलवार की कमी है। इससे ज्यादा खिलाड़ी एक साथ प्रशिक्षण नहीं ले पाते हैं। तलवार की कमी पूरी होनी चाहिए। 3. खिलाड़ियों के पास ग्लव्स और मास्क की भी कमी है। इस खेल में ग्लव्स और मास्क की अहमियत है। 4. तलवारबाजी जिस मैट पर खेला जाता है वह मैट यहां उपलब्ध नहीं है। एल्युमिनियम की मैट मिलनी चाहिए। 5. खेलने वाले हॉल में मैट्रिक और इंटर के कोडिंग का काम होता है। इससे खिलाड़ियों को परेशानी होती है।

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