जिसे आयोग ने बर्खास्त किया उसे ही बना दिया परीक्षक, बिहार की इस यूनिवर्सिटी में गजब खेल
बीआरएबीयू में दो साल पहले भी गलत शिक्षकों से कॉपी जांच की घटना हुई थी। स्नातक की ही परीक्षा में एक संबद्ध कॉलेज के नाम पर कुछ शिक्षकों को परीक्षक बनाया गया था। बाद में संबद्ध कॉलेज के शिक्षकों ने विवि आकर प्रदर्शन किया और विरोध दर्ज कराया था।

विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने जिस सहायक प्राध्यापक को गलत प्रमाणपत्र देने पर बर्खास्त किया, बीआरएबीयू के परीक्षा विभाग ने उसी को स्नातक थर्ड सेमेस्टर में छात्रों की कॉपी जांच के लिए परीक्षक बना दिया है। गलत प्रमाणपत्र देने के आरोप में विवि सेवा आयोग ने 29 अप्रैल 2025 को दर्शनशास्त्र विषय के एक शिक्षक को चयन मुक्त का पत्र जारी किया था। शिक्षक बेतिया के एक अंगीभूत कॉलेज में पदस्थापित था। उसी शिक्षक का नाम विवि परीक्षा विभाग ने 2 मई 2025 को जारी स्नातक परीक्षकों की सूची में डाल दिया।
इस बड़ी गड़बड़ी पर विवि प्रशासन अबतक चुप है। विवि के लोगों का कहना है कि यह गड़बड़ी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है। बीआरएबीयू के पूर्व सिंडिकेट सदस्य डॉ. धनंजय सिंह का कहना है इस मामले की पूरी तफ्तीश होनी चाहिए। रजिस्ट्रार प्रो. संजय कुमार ने बताया कि इस मामले में कॉलेज और परीक्षा विभाग से पूरी जानकारी ली जायेगी।
दो साल पहले भी कॉपी जांच में मिली थी गड़बड़ी
बीआरएबीयू में दो साल पहले भी गलत शिक्षकों से कॉपी जांच की घटना हुई थी। स्नातक की ही परीक्षा में एक संबद्ध कॉलेज के नाम पर कुछ शिक्षकों को परीक्षक बनाया गया था। बाद में संबद्ध कॉलेज के शिक्षकों ने विवि आकर प्रदर्शन किया और विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद आनन फानन में उन शिक्षकों को मूल्यांकन से हटाया गया।
शिक्षक बोले- छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
बीआरएबीयू के कुछ शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह काम छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है। परीक्षा विभाग को परीक्षकों की सूची बनाने से पहले यह देख लेना चाहिए कि शिक्षक की वर्तमान स्थिति क्या है। परीक्षा में कॉपी जांच के लिए परीक्षा विभाग कॉलेजों और पीजी विभागों से शिक्षक मंगाता है। कॉलेज अपने यहां से शिक्षकों को कॉपी जांच के लिए विवि भेजता है।
प्राचार्य सत्यापित कर भेजते हैं सूची
परीक्षा विभाग को जिन विषयों की कॉपी जांच करानी होती है, उस विषय की जानकारी कॉलेजों और पीजी विभागों को भेजी जाती है। इसके बाद प्राचार्य और विभागाध्यक्ष शिक्षकों की सूचि सत्यापित कर परीक्षा विभाग को भेजते हैं। परीक्षा विभाग में भी इसका सत्यापन किया जाता है। सत्यापन के बाद शिक्षकों को कॉपी की जांच के लिए भेजा जाता है। पहले परीक्षा विभाग परीक्षकों की सूची भी जारी करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा रहा है।