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ED का डर दिखाकर रिटायर्ड डॉक्टर से 74 लाख ऐंठे, 48 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, पटना में बड़ी साइबर ठगी

राजधानी पटना में NMCH के रिटायर्ड डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 74 लाख रुपए ऐंठ लिए। साइबर ठगों ने डॉक्टर को ईडी के नाम पर पटना के एक होटल में बुलाकर दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। साइबर थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

sandeep हिन्दुस्तान, पटनाSun, 8 Dec 2024 11:21 PM
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ED का डर दिखाकर रिटायर्ड डॉक्टर से 74 लाख ऐंठे, 48 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, पटना में बड़ी साइबर ठगी

साइबर अपराधियों ने एनएमसीएच के सेवानिवृत्त चिकित्सक को डिजिटल अरेस्ट कर 74 लाख रुपए ठग लिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के नाम पर पटना के एक होटल में बुलाकर दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। बैंक खाते से रूपये स्थानांतरित करवाने के बाद उनसे जेवर तक गिरवी रखवा कर रकम निकलवा ली गई। वहीं एक अन्य मामले में भोजपुर के पूर्व सिविल सर्जन को झांसे में लेकर 14 लाख की ठगी का मामला सामने आया है। दोनों ही मामलों में शुक्रवार को साइबर थाने में प्राथिमकी दर्ज कराई गई है।

नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) के सेवानिवृत्त चिकित्सक के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से फोन आया था। कॉल करने वाले ने खुद को ईडी का अधिकारी बताते हुए कहा कि जांच के दौरान आपके पास आय से अधिक संपत्ति मिली है। आपके खिलाफ ईडी की कार्रवाई होने जा रही है। साइबर अपराधियों ने उन्हें डराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का फर्जी कागजात भी उनके व्हाट्सएप पर भेज दिया। जिसे देख चिकित्सक डर गए। शातिरों ने उन्हें सहरसा से मुम्बई आने के लिए ट्रेन का टिकट भी भेज दिया। चिकित्सक ने जब वहां जाने में असमर्थता जतायी तो शातिरों ने पूछताछ के नाम पर उन्हें पटना के एक निजी होटल में बुलाया। जब वह होटल में पहुंचे तो व्हाट्सएप पर चैट के माध्यम से उनके पास कई फर्जी कागजात भेजे गए।

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इसके बाद साइबर अपराधियों ने वीडियो कॉल के माध्यम से उन्हें होटल के कमरे में ही दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। पहले उनके बैंक खाते में जमा रकम स्थानांतिरत करवाई गई। फिर लॉकर में रखे जेवर को गिरवी रखवाकर उससे मिले रुपये भी ठग लिये। केस से बचाने के नाम पर कुल 74 लाख की रुपये आरटीजीएस के माध्यम से दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर कराया गया। साइबर थाने के थानेदार ने बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज कर घटना की छानबीन की जा रही है।

वहीं भोजपुर के पूर्व सिविल सर्जन ने सेवानिवृत्त के बाद पेंशन से संबंधित कागजात बनाने के लिए सचिवालय में आवेदन किया था। चार-पांच दिन के अंदर कागजात बनकर आने वाला था। दो दिन पहले उनके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करनेवाले शातिर ने खुद को एजी कार्यालय का अधिकारी बताया। अधिकारी का फोन समझकर पूर्व सिविल सर्जन ने वैसा ही किया जैसे-जैसे साइबर अपराधी उन्हें कहता गया।

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शातिर ने उनके व्हाट्सएप पर फर्जी जीवन प्रमाण पत्र भी भेज दिया। जिससे वह पूरी तरह उनके झांसे में आ गए। ठग ने उनके मोबाइल पर आये ओटीपी को बताने के लिए कहा। जब उन्होंने ओटीपी बताया तो उनके बैंक खाते से साइबर अपराधियों ने बारी-बारी से 14 लाख रुपये की निकासी कर ली। रुपये ट्रांसफर होने के मैसेज आने लगे तो उनके परिजनों को शक हुआ। इसके बाद पीड़ित ने तुरंत साइबर थाना पहुंचकर घटना की शिकायत दर्ज कराई।

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