Shradh 2022 : पितृ पक्ष आज से, पितरों को खुश करने के होंगे प्रयास, ऐसे करें तर्पण
shradh 2022 : पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष पर श्राद्ध पक्ष के 15 दिन बहुत अहम होते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कार्य किया जाता है।
पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष पर श्राद्ध पक्ष के 15 दिन बहुत अहम होते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कार्य किया जाता है। इस समय सामान्य जीवन शैली को अपना सात्विक भोजन किया जाता है। लोगों के किसी नए कार्य करने से बचने की वजह से बाजार भी प्रभावित होता है।
पितृ पक्ष पर गंगा जल की मांग बढ़ जाती है। इसी को देखते हुए सरकार ने बोतलबंद गंगा जल की बिक्री सुनिश्चित की थी। डाकखाने पर बोतलबंद गंगा जल की बिक्री होती थी। मगर इस बार डाकखाने में गंगाजल नहीं है। डाकखाना कर्मियों की मानें तो गंगाजल के लिए डिमांड अधिकारियों को भेजी गई है। आचार्य विष्णुदत्त शुक्ल विष्णु ने बताया कि इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर 2022 तक रहेगा। इस बार श्राद्ध 15 दिन के बजाय 16 दिन के रहेंगे। इस दौरान 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं होगा और अष्टमी का श्राद्ध 17 सितंबर के बजाय 18 सितंबर को होगा। इस दौरान कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना। मान्यता है कि श्राद्ध के 15 दिनों के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना होता है। पितृ पक्ष के दौरान घर पर सात्विक भोजन ही बनाए और वही भोजन करें। तामसिक भोजन ना करें ना ही नशा आदि करें वरना पित्र नाराज हो जाते हैं और जीवन में कई मुसीबतें आती हैं। आचार्य ने बताया कि यदि पितरों की मृत्यु की तिथि पता है तो तिथि अनुसार ही श्राद्ध प्रदान करें वरना सर्वपितृ अमावस्या के धर्म शास्त्रों में बताए अनुसार पिंड दान करें। पितृपक्ष के दौरान बेजुबान जानवरों और गरीबों को भोजन कराएं। अपने दरवाजे पर आए जरूरतमंद को खाली हाथ ना भेजें। ब्राह्मणों को गरीबों को सामर्थ के अनुसार दान दक्षिणा दें। हर दिन पंचवली निकाले यानी कि गाय, कुत्ते, कव्वे, देवताओं और चींटी के लिए भोजन निकाले। कभी भी शाम के समय श्राद्ध न करें शाम के समय श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है। हमेशा सुबह या दोपहर के पहले चरण तक यह काम संपन्न कर लें।
घर की छतों पर करते हैं तर्पण
जिले में सामूहिक तर्पण नहीं होता है। लोग अपने घर की छतों पर ही तर्पण करते हैं। और पूरे पितृ पक्ष के दौरान सामान्य जीवन शैली ही अपनाते हैं। भोजन में सात्विक ही करते हैं। इसको लेकर कुछ होटलों व रेस्तरां तैयारी भी करते हैं। ताकि उनके यहां आने वाले ग्राहक निराश होकर न लौटें।
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