Hindi Newsधर्म न्यूज़Shani Amavasya 2022 Upay: These 5 zodiac signs do this work on Shanichari Amavasya How to please shanidev - Astrology in Hindi

Shani Amavasya 2022 Upay: इन 5 राशियों पर शनि की तिरछी नजर, कल शनिचरी अमावस्या पर जरूर करें ये काम

Shani Amavasya 2022: शनिचरी अमावस्या का दिन धनु, कुंभ, मकर, मिथुन व तुला राशि वालों के लिए खास माना जा रहा है। इस दिन शनिदेव से जुड़े उपायों को करने से शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 27 Aug 2022 12:03 AM
share Share

Shani Amavasya 2022 Upay: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को है। शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनिचरी अमावस्या कहा जा रहा है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है। ग्रहों के न्यायाधीश शनिदेव की वर्तमान में कुछ राशियों पर तिरछी नजर है। शनिदेव की कृपा दृष्टि न होने के कारण इन राशियों का समय भारी चल रहा है। ऐसे में शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिचरी अमावस्या का दिन बेहद खास माना जा रहा है।

इन पांच राशियों पर शनि की तिरछी नजर-

वर्तमान में शनि मकर राशि में विराजमान हैं। शनि वक्री अवस्था में हैं। शनि के मकर राशि में होने से धनु, मकर व कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या का प्रभाव है। ऐसे में शनि अमावस्या का दिन इन राशि के जातकों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। मान्यता है कि शनि अमावस्या के दिन शनि साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित राशियों के शनि संबंधित उपायों को करने से अशुभ प्रभाव कम होता है।

शनिदेव की इस विधि से करें पूजा-

1. शनि अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाकर वहां की साफ-सफाई करें।
3. इसके बाद शनिदेव की विधिवत पूजा करें।
4. शनिदेव को सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर अभिषेक करें।
5. अब शनिदेव को नीले पुष्प अर्पित करें।
6. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के दर्शन से शनिदोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
7. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शमी वृक्ष की पूजा करें।
8. शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
9. शनि मंत्रों का जाप करें।

शनिदोष से मुक्ति के सरल उपाय-

सूर्यास्त के बाद पीपल के वृक्ष के पास दीपक जलाएं।
शनिदेव को तेल अर्पित करें और पूजन करें।
पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और पूजा करें इसके बाद सात परिक्रमा करें।
हर शनिवार सुबह-सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर तेल का दान करें।
हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का चढ़ाएं।
शनि चालीसा का पाठ करें।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

 

अगला लेखऐप पर पढ़ें