Pitru paksha 2022 : पूर्णिमा के श्राद्ध से आज से शुरू हो जाएगा पितृ पक्ष
ग्रंथ के अनुसार पितृपक्ष के प्रारंभ होते ही सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर जाता है। इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति होत
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष शुरू हो जाएगा। आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर महालया के साथ समाप्त होगा। सनातन धर्म में पितृ पक्ष विशेष महत्व रखता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कार्य करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा कुंडली में मौजूद पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध के दिन दान का भी विशेष महत्व है। पितृपक्ष में श्राद्ध वाले दिन कौवा को भोजन कराया जाता है।
ऐसा कहा जाता है, कि कौवा के जरिए हमारे पितरों तक यह भोजन जाता है। पितृ पक्ष में पितरों की पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा हम पर बनी रहती है। पितृपक्ष को सोलह श्राद्ध, महालय पक्ष या अपर पक्ष के नाम से भी पुकारा जाता हैं। श्राद्ध के दिन अपने पूर्वजों का तर्पण करने के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते है या फिर उन्हें दक्षिणा देते हैं।
ग्रंथ के अनुसार पितृपक्ष के प्रारंभ होते ही सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर जाता है। इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती हैं। हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है, कि पितृ के खुश रहने पर ही सभी देवी-देवता प्रसन्न में रहते हैं, अन्यथा उनकी प्रसन्नता प्राप्त नहीं होती हैं।
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