Pitru Paksha 2022: कौवा, गाय और कुत्ते के लिए भी निकाला जाता है श्राद्ध का खाना
पुरखों का श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई हो उसी तिथि पर उनका श्रद्धाभाव से श्राद्ध करना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि अमावस्या तिथि पर भी श्राद्धकर्म आदि किया जाता है। इस
पुरखों का श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई हो उसी तिथि पर उनका श्रद्धाभाव से श्राद्ध करना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि अमावस्या तिथि पर भी श्राद्धकर्म आदि किया जाता है। अमावस्या के अलावा संक्रांंति जो साल की 16 होती है और 16 दिन श्राद्ध के पितरों के लिए समर्पित किए गए हैं। जिन पुरखों के कारण हम हैं, उन्हीं से पीढ़ी है, उनको याद करना और विधि विधान से श्राद्ध करने की परंपरा है। पितृपक्ष में 5 जगह अलग-अलग ग्रास शामिल हैं, इसमें सबसे पहले अग्नि को श्राद्ध का ग्रास निकाला जाता है।
इसके बाद कौवा, गाय और काले रंग के कुत्ता के लिए अलग-अलग ग्रास निकालना चाहिए। जिसे इनको खिला देना चाहिए। तत्पश्चात योग्य ब्राह्मण को भोजन खिलाना चाहिए। इन सभी को खिलाया भोजन पूर्वजों तक पहुंचता है। इसी से वह प्रसन्न होते हैं।
इसके अलावा सूर्य को काले तिल और एक लौटा जल देकर तर्पण करना चाहिए। अगर धन के अभाव में कुछ भी न हो तो दूध, गुड़ या सिर्फ गुड़ का भोग भी पुरखे स्वीकार कर लेते हैं। इसके अलावा आप किसी कारणवश पितरों की तिथि भूल गए हैं तो सर्वपितृ अमावस्या पर उनके नाम से श्राद्ध आदि कर सकते हैं।
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