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Shardiya Navratri: 2 शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानें कलश स्थापित करने की आसान विधि

  • Navratri Kalash Sthapna Muhurta : कलश व घट स्थापना सदैव शुभ मुहूर्त व सही विधि के अनुसार करना चाहिए। पंडित जी से जानें घटस्थापना व कलश स्थापना करने के शुभ मुहूर्त व कलश को स्थापित करने की आसान विधि-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 2 Oct 2024 01:23 PM
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Navratri Kalash Sthapna Muhurta : 3 अक्टूबर के दिन शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा से पहले घटस्थापना व कलश स्थापना करने का विधान है। कलश की स्थापना सदैव शुभ मुहूर्त व सही विधि के अनुसार करनी चाहिए। पंडित जी से जानें घटस्थापना व कलश स्थापना करने के शुभ मुहूर्त व आसान विधि-

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: पंडित तरूण झा ने बताया कि कलश स्थापना दिन के 03 बजे तक किया जा सकता है, लेकिन अति विशिष्ट मुहूर्त सुबह 06.07 से 07.37 तक अति उत्तम एवं प्रात: 10.05 से 03 बजे दोपहर तक उत्तम है।

घटस्थापना शुभ मुहूर्त- पंडित ललित शर्मा ने बताया कि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6.15 बजे से प्रात: 7.22 बजे तक रहेगा। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त प्रात: 11.46 बजे से दोपहर 12.33 बजे तक रहेगा।

घटस्थापना का महत्व

नवरात्रि में घटस्थापना का बड़ा महत्व है। कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।

कलश स्थापना की आसान विधि 

सबसे पहले पूजा स्थान की गंगाजल से शुद्धि करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक मिट्टी या तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। अब इस कलश के पानी में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची डालें। फिर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढक दें। इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेट कलश के ऊपर रख दें। कलश को बालू की वेदी के ऊपर स्थापित करें।  

पूजा-विधि

1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें 

2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।

3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।

4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं। 

5- घट और कलश स्थापित करें। 

6- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

7- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं 

8- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें 

9- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।

10- अंत में क्षमा प्रार्थना करें। 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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