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Shani Pradosh Vrat 2025:2 शुभ योग में शनि प्रदोष व्रत कल, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि, मंत्र और आरती

  • Shani Pradosh Vrat January 2025: साल 2025 का पहला प्रदोष 11 जनवरी दिन शनिवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन शिवजी के साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना का विशेष मायने रखता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 10 Jan 2025 05:34 PM
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Shani Pradosh Vrat January 2025: सनातन धर्म में शनि त्रयोदशी व्रत का बड़ा महत्व है। यह दिन शिवजी के साथ शनिदेव की पूजा-आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। जब त्रयोदशी तिथि शनिवार को पड़ती है, तो उसे शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत यानी शनि त्रयोदशी के दिन शिवजी और शनि देव की पूजा करने से कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या समेत सभी अशुभ प्रकोपों को कम किया जा सकता है। दृक पंचांग के अनुसार, साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी, दिन शनिवार को कई शुभ योगों में रखा जाएगा। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त व योग, पूजाविधि, मंत्र, भोग और आरती...

शनि प्रदोष व्रत जनवरी 2025: दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 जनवरी 2025 को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा और अगले दिन 12 जनवरी 2025 को सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल शिवपूजन का विशेष महत्व है। इसलिए 11 जनवरी 2025 को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त : 11 जनवरी 2025 को शाम 05:43 पी एम से 08:26 पी एम तक शनि प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

शुभ योगों में शनि प्रदोष व्रत : साल 2025 के पहले प्रदोष व्रत के दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है।

अमृत सिद्धि योग : 07:15 ए एम से 12:29 पी एम तक

सर्वार्थ सिद्धि योग : 07:15 ए एम से 12:29 पी एम तक

शनि प्रदोष व्रत 2025: पूजाविधि

शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और शिव परिवार के प्रतिमा की पूजा आरंभ करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं। शिव-गौरी की प्रतिमा के समक्ष फल, फूल, धूप,दीप और नैवेद्य अर्पित करें। शिवमंत्रों का जाप करें। शिवजी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। इसके बाद शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, आक के फूल समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित करें। इसके बाद सायंकाल प्रदोष मुहूर्त में पूजा की तैयारी करें। संभव हो, तो शाम को दोबारा स्नान करें और शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर जल अर्पित करें। भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, गन्ना, शहद इत्यादि चढ़ाएं। इसके बाद शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें। ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। शिवजी की आरती उतारें। पूजा समाप्त होने के बाद क्षमा-प्रार्थना मांगे। इसके बाद पीपल के वृक्ष के समीप सरसों के तेल का एक दीपक जलाएं। शनिदेव की पूजा-आराधना करें। शनिदेव के मंत्रों का जाप करें।

शिवजी की आरती :

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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