Hindi Newsधर्म न्यूज़Pitru Paksha 6th Day: On sixth day 3 muhurat time for Shradh know whose Shradha should be performed

पितृपक्ष के छठे दिन किसका श्राद्ध करें? 3 शुभ मुहूर्त में करें श्राद्ध

Pitru Paksha 6th Day: पितृ पक्ष के दिनों में परिवार के लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के छठे दिन किन-किन शुभ मुहूर्त में पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 22 Sep 2024 07:21 PM
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Pitru Paksha 6th Day: पितृ पक्ष का पर्व पितरों को समर्पित है। साल में एक बार पितृ पक्ष मनाया जाता है। कल, 23 सितंबर को पितृ पक्ष का छठा दिन है। पितृ पक्ष के दिनों में परिवार के लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। मान्यता है इन दिनों में श्राद्ध, दान-पुण्य व तर्पण आदि कार्य करने से पितरों को शांति मिलती है। पितर जब खुश रहते हैं तो वंश वृद्धि होती है। पितृ पक्ष के दौरान तिथि अनुसार, श्राद्ध करने की परंपरा चली आ रही है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के छठे दिन किसका श्राद्ध किया जाता है व श्राद्ध करने के शुभ मुहूर्त-

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पितृपक्ष का छठा दिन कल: 23 सितंबर, के दिन पितृ पक्ष का छठा दिन या षष्ठी तिथि श्राद्ध रहेगा। आइए पंचांग अनुसार जाने हैं षष्ठी श्राद्ध के शुभ मुहूर्त-

षष्ठी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 22, 2024 को 15:43 बजे

षष्ठी तिथि समाप्त - सितम्बर 23, 2024 को 13:50 बजे

कुतुप मूहूर्त - 11:49 से 12:37

  • अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट्स

रौहिण मूहूर्त - 12:37 से 13:26

  • अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट्स

अपराह्न काल - 13:26 से 15:51

  • अवधि - 02 घण्टे 25 मिनट्स

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पितृपक्ष के छठे दिन किसका श्राद्ध करें?

23 सितंबर, सोमवार के दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध करें, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की षष्ठी तिथि को हुआ हो। दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। षष्ठी श्राद्ध को छठ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। षष्ठी श्राद्ध को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण, अपराह्न मुहूर्त आदि शुभ मुहूर्त माने गये हैं। पिता की तिथि ज्ञात न होने पर पितृ विसर्जन को श्राद्ध करना चाहिए।

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षष्ठी श्राद्ध कौन कर सकता है: ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किए जा सकते हैं और इन्हें करने का अधिकार पुत्र, पौत्र, भतीजे और भांजे को है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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