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Putrada Ekadashi: हरिवासर में न करें पुत्रदा एकादशी व्रत पारण, जानें व्रत खोलने का शुभ समय

  • Pausha Putrada Ekadashi Vrat Paran Timing: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए। जानें पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 9 Jan 2025 10:27 AM
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Pausha putrada ekadashi 2025 vrat paran: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। पौष पुत्रदा एकादशी साल 2025 का पहला एकादशी व्रत है। पुत्रदा एकादशी व्रत साल में दो बार रखा जाता है। इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए इस व्रत में सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु की आराधना की जाती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानें पुत्रदा एकादशी व्रत का फल व व्रत पारण का शुभ मुहूर्त-

पौष पुत्रदा एकादशी तिथि कब से कब तक रहेगी: द्रिक पंचांग के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 09 जनवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 जनवरी 2025 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से क्या फल मिलता है: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पति-पत्नी के एक साथ पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के योग बनते हैं। संतान के कार्यों की विघ्न-बाधा समाप्त होती है।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण कब किया जाएगा: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 11 जनवरी 2025, शनिवार को किया जाएगा।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त 2025: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 11 जनवरी 2025 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 08 बजकर 21 मिनट है।

हरि वासर में नहीं करना चाहिए व्रत पारण- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना शुभ माना गया है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। व्रत करने वालों को व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। उदाहरण के लिए अगर द्वादशी तिथि 24 घंटे की है तो शुरू के 6 घंटे को पहली चौथाई माना जाता है। व्रत पारण के लिए अनुकूल समय प्रात:काल ही माना गया है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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