पापांकुशा एकादशी पर धनिष्ठा नक्षत्र, जानें पूजा-मुहूर्त, विधि, कथा, भोग व मंत्र
- Papankusha Ekadashi 2024 : पापांकुशा एकादशी का व्रत आज और कल दोनों दिन कर सकते हैं। इस लेख में पढें पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा, पूजा के मुहूर्त, विधि, भगवान विष्णु का मंत्र व भोग जैसी डिटेल्स-
Papankusha Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी का व्रत आज रखा जाएगा। इस दिन विष्णु भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-उपासना करेंगे। एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण व फलदायक माना जाता है। मान्यता है पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार तिथि को लेकर काफी कन्फ्यूजन बना हुआ है। वहीं, पापांकुशा एकादशी का व्रत आज और कल दोनों दिन कर सकते हैं। आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी का मुहूर्त, पूजा-विधि, कथा, मंत्र, व भोग-
पापांकुशा एकादशी पर धनिष्ठा नक्षत्र: दृक पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अक्टूबर 13, 2024 को सुबह 09:08 बजे प्रारम्भ होगी, जिसका समापन अक्टूबर 14, 2024 को सुबह 06:41 बजे तक होगा। ऐसे में दोनों ही दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जा सकता है। आज रात 02:51 बजे तक रवि योग व धनिष्ठा नक्षत्र भी रहेगा।
कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
- भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
- प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- संभव हो तो व्रत रखें और व्रत रखने का संकल्प करें
- पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
भोग- केला, किशमिश, गुड़, चने की दाल
मंत्र- ॐ नमोः नारायणाय नमः, ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
पूजा-मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 से 05:31
प्रातः सन्ध्या- 05:06 से 06:21
अभिजित मुहूर्त- 11:44 से 12:30
विजय मुहूर्त- 14:02 से 14:49
गोधूलि मुहूर्त- 17:53 से 18:18
सायाह्न सन्ध्या- 17:53 से 19:08
अमृत काल- 17:09 से 18:39
निशिता मुहूर्त- 23:42 से 00:32, अक्टूबर 14
रवि योग- 06:21 से 02:51, अक्टूबर 14
पापांकुशा एकादशी कथा
प्राचीन काल की बात है। विंध्य नामक पर्वत पर क्रोधन नामकएक बहेलिया निवास करताथा। वह अत्याचारी स्वभाव का था। उसका सारा समयदुष्टता, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में ही बीत जाताथा। जब जीवन के अंतिम वक्तमें यमराज के दूत बहेलिये को लेने आ गए और यमदूत ने बहेलियेसे कहा कि कल तुम्हारे जीवन का आखिरीदिन है। कल हम तुम्हें लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत ज्यादा दर गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में जा पहुंचा। फिरमहर्षि अंगिरा के पैरोंपर गिरकर प्रार्थना करने लगा।
बहेलिये ने महर्षि अंगिरा से कहा, मैंने अपना सारा जीवन पाप कर्म करने में ही व्यतीत कर दिया। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बता दीजिए, जिससे मेरे सभीपाप खत्म होजाएं और ,मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। बहेलिये के निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का पूरे विधि-विधान से व्रत रखनेको कहा। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार, उस बहेलिए ने पापांकुशा एकादशी का व्रत किया और किए गए अपने सारे बुरे कर्मोंसे छुटकारा पा लिया।इस व्रत पूजन के फल और भगवान की कृपा से बहेलिया विष्णु लोक को गया। जब यमराज के यमदूत ने यहचमत्कार देखा तो वह बहेलिया को अपने साथ लिए बिनाही यमलोक वापस चलेगए।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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