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सोमवती अमावास्या पर गयाकूप में पितरों का श्राद्ध करना रहेगा अति उत्तम, जानें महत्व

  • Somvati Amavasya 2024 : श्राद्ध अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार, सोमवती अमावास्या के दिन, इस तीर्थ स्थान पर पितरों का श्राद्ध करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तानSat, 31 Aug 2024 04:05 PM
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Somvati Amavasya 2024 : भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पितरों की पूजा और तर्पण आदि कार्यों के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये अमावस्या सोमवार के दिन ही पड़ती है। अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए अमावसाय तिथि पर श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य, आयु, समृद्धि, सुख, शान्ति की प्राप्ति होती है। इस साल 2 सितंबर के दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है। आइए जानते हैं स्कन्द पुराण के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर किस तीर्थस्थल पर स्नान-दान व श्राद्ध क्रम करना लाभकारी माना जाता है-

 

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सोमवती अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए जरूर करें ये काम

स्कन्द पुराण के वैष्णवरवण्ड में श्रीअयोध्या-माहात्म्य में कई तीर्थस्थलों का वर्णन किया गया है। गयाकूप नामक तीर्थ स्थान काफी प्रसिद्ध माना जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार, गयाकूप तीर्थ में श्राद्ध करने पर नरक में पड़े हए पितर भी विष्णुलोक में निवास करते हैं। सोमवती अमावास्या के दिन, इस तीर्थ स्थान पर पितरों का श्राद्ध करने से अक्षय एवं अनन्त फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति स्नान करके यथा शक्ति दान करें व पितरों का श्राद्ध करे, वह सम्पूर्णं मनोकामनाओं को प्राप्त कर लेता है।

 

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दृक पंचांग के अनुसार, सोमवती अमावस्या स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

सोमवती अमावस्या तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 02, 2024 को 05:21 ए एम बजे

सोमवती अमावस्या तिथि समाप्त - सितम्बर 03, 2024 को 07:24 ए एम बजे

ब्रह्म मुहूर्त- 04:29 ए एम से 05:15 ए एम

प्रदोष मूहूर्त - 06:41 पी एम से 08:57 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स

 

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