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हरतालिका तीज व्रत पर इस उत्तम मुहूर्त में करें पूजा, पंडित जी से जानें पूजा-विधि

  • Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज पर हागिन महिलाएं निर्जला व्रत रख अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस साल हरतालिका तीज पर ग्रह, नक्षत्रों के कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है।

हरतालिका तीज व्रत पर इस उत्तम मुहूर्त में करें पूजा, पंडित जी से जानें पूजा-विधि
Shrishti Chaubey हिन्दुस्तान टीम, रुडकीSat, 31 Aug 2024 08:33 AM
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Hartalika Teej 2024: भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरितालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। 6 सितंबर के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करेंगी। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय और संपन्न रहता है। इस साल हरितालिका तीज पर दुर्लभ ग्रह, नक्षत्रों के कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। आइए ज्योतिषाचार्य से जानते हैं हरतालिका तीज पर बने शुभ योग, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि-

हरतालिका तीज पर शुभ योग 

पुजारी पंडित अवनीश शर्मा ने बताया कि भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 6 सितंबर दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। इसलिए हरितालिका तीज का निर्जला व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। बताया कि इस दिन ग्रह, नक्षत्र भी बहुत अच्छी स्थिति में होंगे। 6 सितंबर की सुबह के समय पहले दुर्लभ शुक्ल योग और फिर ब्रह्म योग बन रहा है। साथ ही सुबह 09.25 बजे से 7 सितंबर सुबह 06.02 बजे तक रवि योग और रात 10.15 बजे तक शुक्ल योग रहेगा। बताया की धर्म शास्त्रों में यह अद्भुत और शुभ संयोग माने जाते हैं। इनमें पूजा पाठ करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त- ज्योतिष विज्ञान के जानकार पंडित संदीप शर्मा सोनू ने बताया कि हरि तालिका तीज पर सुबह 06.02 बजे से 08.33 बजे तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का शुभ समय रहेगा।

हरतालिका तीज पूजा-विधि 

पंडित संदीप शर्मा सोनू के अनुसार, सुहागिन महिलाएं चौकी सजाकर उसके ऊपर भगवान शिव व माता पार्वती की मूर्ति रखेंगी। फिर कलश की स्थापना करने के बाद 16 श्रृंगार का सामान, अगरबत्ती, धूप, दीप, शुद्ध घी, पान, कपूर, सुपारी, नारियल, चंदन, फल और फूल के साथ आम, केला, बेल व शमी के पत्ते से पूजा करें। हरतालिका तीज व्रत की कथा का पाठ करेंगी। फिर आरती के बाद श्रद्धा के साथ भोग लगाकर क्षमा-याचना करें। पूजा के बाद विधि विधान से व्रत का पारण करने से मनवांछित फल मिलेगा।

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