Diwali Time: 2 hour shubh muhurat on 31 October diwali 2024 timing puja vidhi Diwali Time: दिवाली की शाम पूजा के लिए 2 घंटे का बेस्ट मुहूर्त, जानें कब शुरू करें गणेश-लक्ष्मी पूजा, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Diwali Time: दिवाली की शाम पूजा के लिए 2 घंटे का बेस्ट मुहूर्त, जानें कब शुरू करें गणेश-लक्ष्मी पूजा

  • Diwali Time: इस साल अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण कुछ लोग आज और कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली पूजन करेंगे। दिवाली पूजन कार्तिक अमावस्या के दिन प्रदोष काल के दौरान की जाती है। पंडित जी से जानें दिवाली पूजन का सबसे बेस्ट मुहूर्त-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 31 Oct 2024 12:09 PM
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Diwali Time: दिवाली की शाम पूजा के लिए 2 घंटे का बेस्ट मुहूर्त, जानें कब शुरू करें गणेश-लक्ष्मी पूजा

Diwali Time: आज ज्यादातर लोग दीपावली पूजन कर रहे हैं। इस साल अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण कुछ लोग आज और कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली पूजन करेंगे। शास्त्रों के अनुसार, दिवाली पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल के दौरान की जाती है। ऐसे में आज अमावस्या तिथि पूर्ण रूप से मानी जाएगी। 1 नवंबर के दिन शाम 6 बजे तक अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए आज दिवाली पूजा करना शुभ रहेगा। शुभ मुहूर्त जैसे वृषभ लग्न में दिवाली पूजा करना उत्तम माना जाता है। आइए जानते हैं दिवाली की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त और पूजा-विधि-

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दिवाली की शाम पूजा के लिए 2 घंटे का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार, दीपावली पर गुरुवार की शाम 6:29 बजे वृष लग्न का आरंभ होगा और रात्रि 12:56 बजे से सिंह लग्न शुरू होगा। यह दोनों स्थिर लग्न हैं। दिवाली पूजन के लिए यह सर्वोत्तम लग्न है। मिथुन लग्न रात्रि 8:25 बजे से व कन्या लग्न 3:10 बजे से शुभारंभ होगा। बावजूद इसके दीपावली में श्रीगणेश-लक्ष्मी के पूजन के लिए गोधूली वेला श्रेष्ठ है, जो सूर्यास्त से एक घंटा पहले से लेकर एक घंटा बाद तक रहेगी। अर्थात 4:33 से 6:33 बजे तक होगी। उन्होंने बताया कि इसके बाद उत्तम काल वेला पूषा काल है, जो सूर्योदय से एक घंटा पहले व एक घंटा बाद तक रहेगी। यह 5:27 बजे से 7:27 बजे तक रहेगी। इस दिन प्रीति योग भोग करेगी, जो सबके लिए प्रीतिकारक होगी।

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भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की दिवाली पूजा-विधि: दिवाली पूजा शुरू करने से पहले घर को अच्छी तरह से साफ कर गंगाजल छिड़कना चाहिए। घरों को दीप, मोमबत्ती से रोशन तथा रंगोली, फूलों की माला, केला व अशोक के पत्तों से तोरण द्वार बनाते हैं। पूजा स्थल पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं। बीच में कुछ दाने रखें। चांदी या कांसे के कलश में पानी रखें। कलश में सुपारी, गेंदा का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें। कलश पर पांच आम के पत्ते एक घेरे में रखें। कलश के दाहिनी ओर दक्षिण-पश्चिम दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो तथा बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। छोटी थाली पर चावल का छोटी सी चपटी आकृति बनाएं। उस पर हल्दी से कमल का फूल डिजाइन करें, कुछ पैसे डालें तथा मूर्ति के सामने रख दें। अपनी अकाउंट बुक, धन व बिजनेस से संबंधित अन्य वस्तुए मूर्ति के सामने रखें। तिलक लगाएं, फूल चढ़ाएं और मूर्तियों के सामने दीया जलाएं। अपनी हथेली में फूल रखें और आंखें बंद करके मंत्र का जाप करें। फूल को गणेश और लक्ष्मी को भेंट करें। लक्ष्मी जी की मूर्ति को जल स्नान के रूप में पंचामृत अर्पित करें। देवी को मिठाई, हल्दी, कुमकुम चढ़ाएं और माला पहनाएं। अगरबत्ती या धूप जलाएं। फिर नारियल, सुपारी और पान का पत्ता चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की आरती करें। भोग लगाएं। क्षमा प्रार्थना करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।