सुबह से लेकर शाम तक इन मुहूर्त में करें देवउठनी एकादशी पूजा, जानें पूजा-विधि व उपाय
- DevUthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी व्रत 12 नवंबर को है। इस शुभ तिथि पर व्रत करके विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से मनोकामना पूर्ण होती है। जानें, देवउठनी एकादशी मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, भोग व उपाय-
12 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मनाई जाएगी, जिसे प्रबोधिनी व देवउठनी एकादशी कहते हैं। पौराणिक मान्यतानुसार जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने योगनिद्रा (शयन) से उठने का दिन है। वैदिक पचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम में 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को संध्याकाल 4 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। पदम पुराण में वर्णित एकादशी महात्यम के अनुसार, देवोत्थान एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर होता है। इस दिन भगवान श्री हरि तथा मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। साथ ही योग्य ब्राह्मण व मंदिरों में दान करने से भगवान प्रसन्न होते है। जानें, देवउठनी एकादशी मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, भोग व उपाय-
सुबह से लेकर शाम तक इन मुहूर्त में करें देवउठनी एकादशी पूजा
चर - सामान्य 09:23 एएम से 10:44 एएम
लाभ - उन्नति 10:44 एएम से 12:05 पीएम
अमृत - सर्वोत्तम 12:05 पीएम से 01:26 पीएम
शुभ - उत्तम 02:47 पीएम से 04:08 पीएम
लाभ - उन्नति 07:08 पीएम से 20:47 पीएम काल रात्रि
शुभ - उत्तम 10:26 पीएम से 12:06 एएम, नवम्बर 13
देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त स्नान- सुबह 5 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक
स्नान, पूजन, दान व अन्य कार्य- सुबह 6 बजकर 58 से दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक
अन्य सभी शुभ मंगल कार्य भद्रा परिहार या सायं 4 बजकर 5 मिनट के बाद करें
एकादशी व्रत का पारण- 13 नवंबर, सुबह 6 बजकर 42 बजे से लेकर 8 बजकर 51 बजे के बीच करना चाहिए। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय दोपहर 01:01 पीएम पर।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 एएम से 05:49 एएम
प्रातः सन्ध्या- 05:22 एएम से 06:42 एएम
अभिजित मुहूर्त- 11:44 एएम से 12:27 पीएम
विजय मुहूर्त- 01:53 पीएम से 02:36 पीएम
गोधूलि मुहूर्त- 05:29 पीएम से 05:55 पीएम
सायाह्न सन्ध्या- 05:29 पीएम से 06:48 पीएम
अमृत काल- 01:19 एएम, नवम्बर 13 से 02:46 एएम, नवम्बर 13
निशिता मुहूर्त- 11:39 पीएम से 12:32 एएम, नवम्बर 13
सर्वार्थ सिद्धि योग- 07:52 एएम से 05:40 एएम, नवम्बर 13
रवि योग- 06:42 एएम से 07:52 एएम
मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः, ॐ विष्णवे नमः
देवउठनी एकादशी पूजा-विधि
देवउठनी एकादशी के दिन प्रात: काल में स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पंचामृत से अभिषेक करें। पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु को पीले फूल, पीतांबर वस्त्र, फल और मिठाई अर्पित करें। रात को जागरण करें। व्रत कथा सुनें। तुलसी दल सहित भोग लगाएं। आरती गाएं। अंत में क्षमा मांगे।
देव उत्थान विधि: गन्ने का मंडप बनाने के बाद बीच में चौक बना लें। इस चौक पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रख सकते हैं। चौक के साथ श्री हरिचरण बना सकते हैं। इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, फल और मिठाई समर्पित करते हैं। घी का दीपक जलाया जाता है जो कि रात-भर जलता है। भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है। फिर भगवान के चरणों को स्पर्श करके उन्हें जगाया जाता है। नारद पुराण के अनुसार इस दिन उपवास करके रात में सोए हुए भगवान को गीत आदि मांगलिक उत्सवों द्वारा जगाएं। यदि संभव हो तो उस समय शास्त्रों में वर्णित विविध मंत्रों और घंटे की मधुर ध्वनि के द्वारा भगवान को जगाना चाहिए। सांयकाल में पूजा स्थल को सा-सुथरा कर लें, चूना व गेरू से श्री हरि के जागरण के स्वागत में रंगोली बनाएं। घी के ग्यारह दीपक देवताओं के निमित्त जलाएं।
भोग- फल- केला, आंवला, अनार, सिंहाड़ा, सेब तथा पीले मिष्ठान के साथ खीर का भोग प्रसाद में लगाना चाहिए।
उपाय- मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने, तुलसी व केले के पेड़ की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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