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3 शुभ योग में देवउठनी एकादशी, इस शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा

  • Dev Uthani Ekadashi 2024 : इस साल देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को योग निंद्रा से जागते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 10 Nov 2024 07:53 PM
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Dev Uthani Ekadashi 2024: हिन्दु धर्म में देवउठनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। इस एकादशी को प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जो 12 नवंबर को है। इस साल देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को योग निंद्रा से जागते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है एवं व्रत रखा जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसी जी का विवाह रचाने की परंपरा है।

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3 शुभ योग में देव उठनी एकादशी: ज्योतिष राकेश मिश्र के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि, हर्षण एवं सिद्धि योग का सुखद संयोग है। मान्यता है कि भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा के बाद इस दिन उठते हैं। उदया तिथि के अनुसार, इस बार देवउठनी एकादशी 12 नवंबर मंगलवार को है।

देवउठनी एकादशी पूजन शुभ मुर्हूत:

एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर शाम के 06:46 बजे से होगा एवं समापन 12 नवंबर शाम के 04:04 बजे पर हो रहा है। उदयातिथि में 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।

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पूजा का शुभ मुहूर्त- 12 नवंबर को शाम 7.08 से रात्रि 8.46 तक है।

इस शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा

ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 से 05:49

प्रातः सन्ध्या- 05:22 से 06:42

अभिजित मुहूर्त- 11:44 से 12:27

विजय मुहूर्त- 13:53 से 14:36

गोधूलि मुहूर्त- 17:29 से 17:55

सायाह्न सन्ध्या- 17:29 से 18:48

अमृत काल- 01:19, नवम्बर 13 से 02:46, नवम्बर 13

निशिता मुहूर्त- 23:39 से 00:32, नवम्बर 13

सर्वार्थ सिद्धि योग- 07:52 से 05:40, नवम्बर 13

रवि योग- 06:42 से 07:52

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कब है तुलसी विवाह: प्रबोधनी एकादशी ही वृंदा (तुलसी) के विवाह का दिन है। तुलसी का भगवान विष्णु के साथ विवाह करके लग्न की शुरुआत होती है। वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु काले पड़ गए थे। उन्हें शालिग्राम के रूप में तुलसी चरणों में रखा जाएगा। साथ में पूजन किया जाएगा। भोग लगाकर आरती की जाएगी।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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