Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी आज, नोट करें मुहूर्त, पूजा-विधि, उपाय, व्रत पारण टाइम
Devshayani Ekadashi 2024: श्री हरि को समर्पित देवशयनी एकादशी का व्रत इस बार 17 जुलाई को पड़ रहा है। माना जाता है की इसी एकादशी से विष्णु भगवान योग निद्रा में 4 महीने के लिए चले जाते हैं और सृष्टि का भार भगवान शिव के कंधों पर आ जाता है।

Devshayani Ekadashi 2024 : हर साल देवशयनी एकादशी व्रत आषाढ़ महीने में रखा जाता है। श्री हरि को समर्पित देवशयनी एकादशी का व्रत इस बार 17 जुलाई को पड़ रहा है। माना जाता है की इसी एकादशी से विष्णु भगवान योग निद्रा में 4 महीने के लिए चले जाते हैं और सृष्टि का भार भगवान शिव के कंधों पर आ जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी पर अद्भुत शुभ संयोग से भक्तों को विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी। मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से जातक के सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, भोग, उपाय और व्रत पारण का समय-
देवशयनी एकादशी क्यों है खास?
उदयातिथि के आधार पर देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई दिन बुधवार को रखा जाएगा। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त से किया जा सकता है। इस दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बना है, जिसमें किए गए कार्य सफल सिद्ध होंगे। देवशयनी एकादशी वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बने हैं। ये सभी योग पूजा पाठ और शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं। व्रत के दिन अनुराधा नक्षत्र और पारण वाले दिन ज्येष्ठा नक्षत्र भी हैं।
देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त
- देवशयनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - जुलाई 16, 2024 को 08:33 पी एम बजे
- देवशयनी एकादशी तिथि समाप्त - जुलाई 17, 2024 को 09:02 पी एम बजे
- 18 जुलाई को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:35 ए एम से 08:20 ए एम
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:44 पी एम
देवशयनी एकादशी पूजा-विधि
- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
- भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
- प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
- देवशयनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ विष्णवे नम:
भोग- गुड़, चने की डाल, किशमिश, केला
प्रिय रंग- पीला
उपाय- देवशयनी एकादशी के दिन श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने और केले के पेड़ की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।