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Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिन के होंगे, जानें कलश स्थापना मुहूर्त व कैलेंडर

  • Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, पटना, प्रधान संवाददाताMon, 17 March 2025 09:02 AM
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Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिन के होंगे, जानें कलश स्थापना मुहूर्त व कैलेंडर

Chaitra Navratri Start to End Date 2025: होली के बाद बासंती नवरात्र(चैती नवरात्र), चैती छठ और राम नवमी पर्व का इंतजार श्रद्धालुओं को है। चैती नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पीके युग के अनुसार इस वर्ष चैती नवरात्र की शुरुआत रेवती नक्षत्र और इंद्र योग में हो रहा है। रविवार को नवरात्रि होने के कारण मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। इस वर्ष नवरात्रि नौ दिन की जगह आठ दिनों का ही है।

6 अप्रैल रविवार को अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ है। रविवार होने के कारण इस वर्ष मां की विदाई भी हाथी पर ही हो रही है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हाथी पर मां का आगमन और विदाई बेहद शुभ माना जाता है। यह उन्नति, आर्थिक प्रगति और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी का प्रतीक समझा जाता है।

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सुबह से कलश स्थापना मुहूर्त- इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.12 बजे से 10.22 बजे तक रहेगा। जबकि पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त 12.01 बजे दोपहर से बजे से 12.50 बजे तक रहेगा। वहीं 6 अप्रैल को महानवमी व्रत श्रद्धालु पुनवर्सु व पुष्य नक्षत्र में मनाएंगे। इस दिन सुबह 9.40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र व इसके बाद पुष्य नक्षत्र रहेगा।

चार नवरात्र में से एक शास्त्रत्तें में चैत्र, आषाढ़, आश्विन एवं माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक चार नवरात्र की चर्चा मिलती है। आषाढ़ एवं माघ महीने के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं। वहीं चैत्र महीने के नवरात्र को बासंती नवरात्र एवं आश्विन महीने के नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहते है।

एक अप्रैल से चैती छठ शुरू

लोक आस्था के महापर्व ग्रीष्मकालीन चार दिवसीय चैती छठ पूजा की शुरुआत 01 अप्रैल को नहाय खाय से होगी। इस दिन व्रती चैती छठ का संकल्प लेंगे। अगले दिन 02 अप्रैल को खरना के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगे। इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य 03 अप्रैल को देंगे और चौथे दिन 04 अप्रैल को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह कठिन पूजा समाप्त होगी।

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मां के नौ रूपों की पूजा कब-कब होगी, देखें नवरात्रि कैलेंडर

प्रतिपदा 30 मार्च शैलपुत्री

द्वितीया 31 मार्च ब्रह्मचारिणी

तृतीया 01 अप्रैल चंद्रघंटा

चतुर्थी 02 अप्रैल कुष्मांडा

पंचमी 03 अप्रैल स्कंदमाता

षष्ठी 04 अप्रैल कात्यायनी

सप्तमी 05 अप्रैल कालरात्रि

अष्टमी व नवमी 06 अप्रैल महागौरी व सिद्धिदात्री

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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