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Sheetala Ashtami: शीतला अष्टमी व्रत 22 मार्च को, पंडित जी से जानें व्रत का फल, विधि व मां की सवारी

  • Sheetala Ashtami 2025: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। जानें शीतला अष्टमी कब है, व्रत विधि व व्रत का फल-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, वाराणसी, मुख्य संवाददाताMon, 17 March 2025 08:10 AM
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Sheetala Ashtami: शीतला अष्टमी व्रत 22 मार्च को, पंडित जी से जानें व्रत का फल, विधि व मां की सवारी

When is Sheetala Ashtami 2025: होली के सात दिन बाद चैत्र माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस वर्ष यह पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। उत्तर भारत में इसे बसियउरा के नाम से भी जाना जाता है।

अष्टमी तिथि 21 मार्च को आधीरात के बाद 04:25 बजे लगेगी। 23 मार्च की भोर में 05:24 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार अष्टमी 22 मार्च को मिलेगी। अत शीतला अष्टमी का व्रत उसी दिन रखा जाएगा। उस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक मूल नक्षत्र रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. विकास शास्त्रत्ती के अनुसार इस दिन घर के द्वार पर नीम के पत्तों का वंदनवार लगाने की प्रथा है। मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है।

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शीतला माता पूजा विधि-

सप्तमी तिथि पर भोजन बनाने की जगह को साफ कर गंगा जल से पवित्र करके मां शीतला के भोग की सामग्री बनाई जाती है। माता को शीतल भोग ही अर्पित किया जाता है। चावल-गुड़ या फिर चावल और गन्ने के रस को मिलाकर खीर तथा मीठी रोटी बनाई जाती है। घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्त्रत्तेत का पाठ किया जाता है। रात में दीपमालाएं सजाई जाती हैं। जगराता कर माता की महिमा में लोकगीतों का गायन भी होता है। इस व्रत से आरोग्य का वरदान मिलता है। माता शीतला बच्चों की गंभीर बीमारियों एवं बुरी नजर से रक्षा करती हैं।

शीतला माता की सवारी: स्कंदपुराण के अनुसार शीतला माता गधे की सवारी करती हैं। हाथों में कलश, झाड़ू, सूप तथा नीम की पत्तियां धारण किए रहती हैं।

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मां को क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग: नाम के अनुसार, माता शीतला को शीतल वस्तुएं प्रिय हैं। शीतला अष्टमी के दिन गर्म भोजन नहीं किया जाता है क्योंकि इस दिन भोजन नहीं पकाया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शीतला प्रसन्न होती हैं और हर प्रकार के रोग व संक्रमण से रक्षा करती हैं।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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