बदरीनाथ में जीते पर केदारनाथ विधानसभा सीट में हारे, उपचुनाव में कांग्रेस के हार की क्या असली वजह?
- केदारनाथ उप चुनाव में नामांकन के दिन से ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जीत के लिए खूब दम लगाया, लेकिन वो ज्यादा असरदार साबित नहीं हुए।
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मिली हार पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस भाजपा से चुनाव नहीं हारी बल्कि अपने लोगों से हारी है। कहा, यह भाजपा की जीत नहीं है।
अगर निर्दलीय और कांग्रेस प्रत्याशी एक साथ होते तो नतीजा कुछ और ही होता। निश्चित ही कांग्रेस इस उपचुनाव में जीत दर्ज करती। एक होटल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने पत्रकार वार्ता करते हुए केदारनाथ उपचुनाव के परिणाम पर निराशा जताई।
कहा, पूरी पार्टी ने एकजुट होकर उपचुनाव लड़ा लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया। उन्होंने केदार बाबा की 300 किमी प्रतिष्ठा यात्रा के बाद भी हार मिलने पर अफसोस जताया। निर्दलीय प्रत्याशी को मिले वोटों की पीड़ा भी साफ झलकी।
गोदियाल-हरीश का असर भी रहा बेदम
sप्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत सहित तमाम विधायकों से लेकर छोटे-बड़े हजारों कार्यकर्ताओं ने केदारनाथ में जीतोड़ मेहनत की, लेकिन वह मतादाताओं को अपनी बात समझाने में नाकाम रहे।
जमीनी नेताओं की उपेक्षा की गई धीरेंद्र
केदारनाथ में कांग्रेस की हार पर पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि पार्टी को असली नेताओं की उपेक्षा भारी पड़ी है। प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार तक में पार्टी के जमीनी नेताओं को दूर रखा गया। कहा, पार्टी में कुछ नेता गढ़वाल को अपनी जागीर समझने लगे हैं। जबकि हकीकत यह है कि उनका अपने क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं है। उन्होंने कहा, हार की जब भी समीक्षा होगी, इस संबंध में हाईकमान के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।