Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Why avalanches occurring so frequently in Uttarakhand Expert explains the reason

उत्तराखंड में क्यों बार-बार आ रहे हिमस्खलन? एक्यपर्ट ने बताई वजह

  • हिमस्खलन पर पहाड़ी से बर्फ तो गिरती ही है उसके साथ ही मलबा, बोल्डर आदि भी गिरने लगते हैं। जो कि काफी दूर तक भी नुकसान पहुंचाते हैं। एक ओर इससे जल स्त्रत्तेत, सड़क आसपास के निर्माण कार्यों को नुकसान होता हैं।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, अल्मोड़ा। मुकेश सक्टाSat, 1 March 2025 07:16 AM
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उत्तराखंड में क्यों बार-बार आ रहे हिमस्खलन? एक्यपर्ट ने बताई वजह

उत्तराखंड में कमजोर पहाड़ी की ढाल पर बर्फ का लोड अधिक बढ़ने से हिमस्खलन होता है। हिमस्खलन के बाद चट्टान से बर्फ समेत मलबा, बोल्डर आदि ढलान से नीचे की ओर गिरने लगते हैं। अधिकतर 3000 से 3500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हिमस्खलन होता है।

जीबी पंत संस्थान अल्मोड़ा में वैज्ञानिक रहे ई. किरीट कुमार ने कहते हैं कि उत्तराखंड में चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ आदि जिलों के अधिक ऊंचाई वाले हिस्सों में हिमस्खलन की संभावनाएं काफी रहती हैं। जिन पहाड़ियों की ढाल मजबूत नहीं होती। जब उन पर अधिक बर्फ पड़ती है तो पहाड़ी उस बर्फ के बोझ को सहन नहीं पाती। इस कारण पहाड़ी का एक हिस्सा टूट जाता है।

हिमस्खलन पर पहाड़ी से बर्फ तो गिरती ही है उसके साथ ही मलबा, बोल्डर आदि भी गिरने लगते हैं। जो कि काफी दूर तक भी नुकसान पहुंचाते हैं। एक ओर इससे जल स्त्रत्तेत, सड़क आसपास के निर्माण कार्यों को नुकसान होता हैं।

तेज हवा के साथ बर्फ पड़ने पर आता है तूफान

जब तेज हवाएं चलती हैं और उसके साथ ही बर्फबारी भी होती है। तब उसे बर्फीला तूफान कहा जाता है। इसमें तेज हवाओं के साथ भारी बर्फबारी होती है। जो कि संबंधित जगह पर पहुंचे पर्वतारोहियों और अन्य लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है। यही कारण है कि अधिक बर्फ पड़ने पर पर्वतारोहियों को उन जगहों पर जाने के लिए मना किया जाता है।

निर्माण कार्य से भी होती है पहाड़ी कमजोर

पहाड़ी की ढाल का कमजोर होने का कारण पहाड़ी और आसपास होने वाला निर्माण कार्य भी हो सकता है। निर्माण कार्यों के दौरान पहाड़ी का कटान किया जाता है। इससे प्राकृतिक मजबूती कम हो जाती है। भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। निर्माण कार्य के समय पहाड़ की मजबूती का ध्यान रखना जरूरी है।

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