उत्तराखंड बनेगा जीरो एक्सीडेंट जोन, सड़क हादसों को रोकने के लिए CM धामी का धासूं प्लान
- प्रदेश में एक साथ 10 से 15 मौत वाले हादसों की संख्या भी कम नहीं है। संवेदनशील उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता काफी ज्यादा है। हादसों की गंभीरता का आकलन प्रति 100 घटनाओं में मृत्यु की संख्या से होता है।
उत्तराखंड में सड़क हादसों पर प्रभावी रोकथाम की दिशा में नई समग्र नीति के तहत उठाए जा रहे कदम कारगर साबित होने की उम्मीद है। बीते कुछ वर्षों में उत्तराखंड में जिस तेजी से तीर्थयात्रियों-पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, उसके मद्दनेजर यह जरूरी था कि यातायात को और सुरक्षित बनाया जाए।
ऐसे में उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य स्थापना दिवस पर घोषित राष्ट्रीय समग्र नीति उत्तराखंड को ‘जीरो एक्सीडेंट जोन’ बनाने में अपेक्षित मददगार बनेगी। वर्तमान में सड़क हादसों के लिहाज से उत्तराखंड, देश के संवेदनशील राज्यों में शामिल है।
खासकर हादसों की गंभीरता के पैमाने पर उत्तराखंड, राष्ट्रीय औसत से कहीं ऊपर है। बीते सप्ताह, अल्मोड़ा के सल्ट में हुए बस हादसे में 36 लोगों की जान चल गई थी। इससे पूर्व पौड़ी के धुमाकोट में भी 48 लोगों की मौत हो गई थी।
प्रदेश में एक साथ 10 से 15 मौत वाले हादसों की संख्या भी कम नहीं है। संवेदनशील उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता काफी ज्यादा है। हादसों की गंभीरता का आकलन प्रति 100 घटनाओं में मृत्यु की संख्या से होता है।
राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता का प्रतिशत 36.5 है जबकि उत्तराखंड में यह 62.2 है। उत्तराखंड में हादसे रोकने को काम तो हो रहे हैं, पर विभागों मे समन्वय नहीं होने से वो प्रयास अपेक्षित कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं।
साथ ही राज्य में वर्तमान में परिवहन विभाग की 2016 में बनी सड़क सुरक्षा नीति लागू है। इसके बाद से राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से काफी बदलाव आ चुके हैं। साथ ही वाहनों की संख्या, पर्यटकों की आमद में भी इजाफा हुआ है। इसके लिए नए मानकों, नई नीति की जरूरत भी है।
नई नीति के केंद्र में होंगे पांच विभाग
सड़क सुरक्षा समग्र नीति में संयुक्त रूप से पांच विभागों की भूमिका-जिम्मेदारियां तय की जाएंगी। इनमें परिवहन, रोडवेज, पुलिस, लोक निर्माण व स्वास्थ्य विभाग शामिल होंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीएम की घोषणा के अनुसार नीति का खाका जल्द तैयार किया जाएगा। प्राथमिक रूप से उक्त पांच विभागों को नीति के केंद्र में रखा जा रहा है। भविष्य में इसका और विस्तार किया जाएगा।
यूं बनेगा समन्वय:
परिवहन विभाग: वाहनों की जांच, फिटनेस, मॉडल आयु सीमा को तय करेगा और सख्ती से लागू करेगा।
रोडवेज: राज्य में परिवहन सेवाओं का नेटवर्क और बढाएगा, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में नई बसों की व्यवस्था करेगा
पुलिस: परिवहन के समान ही ओवर लोडिंग, ओवर स्पीडिंग आदि यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराएगा
लोनिवि: संवेदनशील क्षेत्रों में क्रैश बैरियर, पैराफीट, सड़कों की नियमित मरम्मत-चौड़ीकरण, और ब्लैक स्पॉट विहीन बनाएगा
स्वास्थ्य: हादसे की स्थिति में घायलों तक प्रभावी उपचार सुविधा पहुंचाने का रिस्पांस टाइम कम से कम करते हुए नेटवर्क बनाएगा
सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम को सरकार ने अहम कदम उठाते हुए समग्र नीति बनाने का निर्णय लिया है। इसका खाका तैयार कराया जा रहा है। सरकार की कोशिश है कि राज्य की हर सड़क जीरो एक्सीडेंट जोन के रूप में विकसित हो। इसके लिए जरूरी हर संसाधन सरकार मुहैया कराएगी।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
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