शादी और लिवइन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, नियमावली तैयार; उत्तराखंड में कब लागू होगा UCC
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली का ड्राफ्ट सोमवार को तैयार हो गया। नियम निर्माण और कार्यान्वयन समिति ने फरवरी में अपनी स्थापना के बाद से अपनी सब-कमेटियों के साथ 130 से ज्यादा बैठकें की हैं।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली का ड्राफ्ट सोमवार को तैयार हो गया। यूसीसी की आखिरी बैठक में शादी और लिव-इन रजिस्ट्रेशन, वसीयत के डॉक्यूमेंटेशन और संशोधन के लिए डिजिटल सुविधाएं देने की सिफारिशें की गई हैं। नियम निर्माण और कार्यान्वयन समिति ने फरवरी में अपनी स्थापना के बाद से अपनी सब-कमेटियों के साथ 130 से ज्यादा बैठकें की हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि समिति ने 500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है और इसे जल्द ही राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और समिति के प्रमुख शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि उन्होंने सिफारिश की है कि विवाह पंजीकरण के लिए संबंधित प्राधिकरण सब-रजिस्ट्रार या ग्राम पंचायत विकास अधिकारी हो, जो गांवों में जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए जिम्मेदार हो। इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने कहा कि समिति द्वारा तैयार की जा रही रिपोर्ट में यूसीसी के कार्यान्वयन नियमों के साथ-साथ नियम बनाने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण होगा, जिसमें कानूनी विशेषज्ञ और कानून के प्रशिक्षु दोनों शामिल हैं।
भाजपा उत्तराखंड यूसीसी को अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर लागू करना चाहती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए नियमों का खाका तैयार किया गया है। पैनल के सदस्यों ने बताया कि डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन के लिए एक वेबसाइट और मोबाइल ऐप पहले से ही तैयार है और इसे संबंधित सरकारी वेबसाइटों और डेटाबेस से जोड़ा जाएगा। यूसीसी लागू होने के बाद वे फंक्शनल मोड में आ जाएंगे। सिंह ने कहा कि सोमवार की बैठक में अंतिम विवरण तैयार कर लिया गया और रिपोर्ट - 'समय से पहले तैयार' कर ली गई है। इसे जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजी जाएगी।
इससे पहले, धामी ने 9 नवंबर से पहले यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी। इसी दिन राज्य का 24वां स्थापना दिवस भी है। सिंह ने कहा था कि उनकी मुख्य सिफारिशों में से एक लोगों को अपनी शादी और लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ अन्य चीजों को डिजिटल रूप से पंजीकरण करवाने की अनुमति देना है। उन्होंने कहा, 'जो लोग डिजिटल तौर पर बहुत साक्षर नहीं हैं, उनके लिए हमने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की मदद लेने का प्रस्ताव दिया है। हमने केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सीएससी प्रतिनिधियों से बात की है।'
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