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एक वाइपर और रबर चढ़े टायरों पर दौड़ रहीं उत्तराखंड रोडवेज बसें, इन रूटों पर बस यात्रियों की जान से खिलवाड़

उत्तराखंड रोडवेज बसों का बुरा हाल है। स्पेयर पार्ट्स की कमी से कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं। कुमाऊं में रोडवेज की 60 प्रतिशत बसों के टायरों में रबर चढ़े हैं। यात्रियों की जान से भी खिलवाड़ है।

Himanshu Kumar Lall हल्द्वानी, वरिष्ठ संवाददाता।, Tue, 18 July 2023 03:38 PM
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उत्तराखंड रोडवेज बसों का बुरा हाल है। स्पेयर पार्ट्स की कमी से कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं। कुमाऊं में रोडवेज की 60 प्रतिशत बसों के टायरों में रबर चढ़े हैं। कुमाऊं में परिवहन निगम की 245 से ज्यादा बसें हैं जो 7-8 साल से ज्यादा पुरानी हैं। टूटी सड़कों पर दौड़ते हुए इन बसों की हालत खस्ता हो रही है। बार बार इनकी मरम्मत करानी पड़ रही है।

परिवहन निगम की वर्कशाप में पार्ट्स की भारी कमी बनी हुई है। ऐसे में चालक परिचालकों के साथ ही यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जयपुर रूट की एक बस तो 15 दिन डिपो में खड़ी रही।

वाइपर
काठगोदाम और हल्द्वानी में परिवहन निगम की करीब 110 बसें हैं। इनमें से 40 से ज्यादा बसों में एक ही वाइपर लगा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम प्रबंधन अपने चालक-परिचालक व यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। चालक सुरेश बिष्ट ने बताया कि तेज बारिश होने पर एक वाइपर होने से बस के शीशे से पार देखना मुश्किल होता है।

टायर
60 प्रतिशत बसों में रबर चढ़े टायर: कुमाऊं में रोडवेज की 60 प्रतिशत बसों के टायरों में रबर चढ़े हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद पहाड़ों में चलने वाली अधिकतर बसों के अगले टायर रबर चढे़ नहीं है। पिछले टायर रबर चढ़े हैं जो बारिश में खतरनाक हो सकते हैं। नए टायरों की कमी के चलते मैदानी इलाकों में चलने वाली ज्यादातर बसों को रबर चढ़े टायरों पर दौड़ा रहे हैं।

साइड मिरर
निगम में साइड मिरर का भी भारी टोटा है। प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं कराने के चलते चालक अपने मिरर लगाते हैं। जब ड्यूटी पूरी कर घर जाते हैं तो साइड मिरर खोलकर ले जाते हैं। चालक रमेश राम ने बताया कि साइड मिरर नहीं मिलते हैं। रोडवेज की भारी भरकम बसों में साइड मिरर भी इतने छोटे हैं कि पीछे से आ रहे वाहनों को देखना मुश्किल होता है।

फिल्टर/हेडलाइट
निगम में अच्छी क्वालिटी के डीजल फिल्टर नहीं है। जो हैं वह घटिया क्वालिटी के हैं। यह फिल्टर लीक होते रहते हैं, जिससे डीजल बर्बाद होता है। सूत्रों के अनुसार 25 से ज्यादा बसों के डीजल फिल्टर लीक हैं। इसका असर रोडवेज की आय पर पड़ रहा है। वहीं 32 बसों की हेडलाइट भी ठीक नहीं हैं। चालक दिगंबर ने बताया कि बारिश में पानी जानी से रोशनी कम हो जाती है।

बसों में जो भी दिक्कत होती है वह डिपो स्तर से मंडलीय प्रबंधक (तकनीकी) कार्यालय तक पहुंचती है। वाइपर, पार्ट्स आदि शिकायतें नहीं मिली हैं। शिकायतें मिलती है उनका समाधान किया जाएगा। 
टीका राम आदित्य, मंडलीय प्रबंधक (तकनीकी), परिवहन निगम

परिवहन निगम में बसों के पार्टस की कमी है। वाइपर नहीं है, बसें टपक रही हैं और पार्ट्स भी अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इन मुद्दों को परिवहन मजदूर संघ के प्रतिनिधिमंडल ने निगम प्रबंधन के सामने उठाया है। 
नवनीत कपिल, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, परिवहन मजदूर संघ
 

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