उत्तराखंड में पेशन के लिए नियम पर नया कानून, जानिए कर्मचारियों को फायदा या नुकसान
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन को अब नए नियम बनने जा रहे हैं। गैरसैंण बजट सत्र में पारित उत्तराखंड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक-2022 विधिवत कानून बन गया।
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन को अब नए नियम बनने जा रहे हैं। गैरसैंण बजट सत्र में पारित उत्तराखंड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक-2022 विधिवत कानून बन गया। विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इसके आदेश सचिव शहंशाह मुहम्मद दिलबर दानिश ने किए।
कानून वर्ष 1961 से मान्य होगा। इसके लागू होने से अब अस्थायी कार्मिक के रूप में की गई सेवाएं पेंशन लाभ को अमान्य होंगी। मौलिक नियुक्ति की तारीख से सेवा अवधि पेंशन के लिए गिनी जाएगा। इसलिए लिया फैसला हालिया कुछ वर्षों में लोनिवि, सिंचाई, पेयजल समेत कुछ विभागों में अस्थायी से स्थायी हुए कर्मचारियों ने पूर्व की सेवाओं के आधार पर पेंशन का लाभ देने की मांग की थी।
पेंशन के लाभ के लिए कम से कम 10 साल की नियमित सेवा अनिवार्य है। लेकिन तीन से चार साल की स्थायी सेवा वाले कार्मिकों ने अपनी पूर्व की 10 से 15 वर्ष की अस्थायी सेवाओं को पेंशन के लिए जोड़ने की मांग की। इन मामलों में हुए कोर्ट केस में फैसले कर्मचारियों के पक्ष में आए। इसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया।
कार्मिकों के पेंशन के भार को बढ़ता देख पिछले साल 14 नवंबर 2022 को कैबिनेट बैठक में पेंशन के मानक तय करने के लिए कानून बनाने का निर्णय किया गया था। गैरसैंण बजट सत्र में 16 मार्च 2023 को इसे पारित कर दिया गया था।
नाराज शिक्षक कोर्ट जाने को तैयार: माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि अस्थायी कार्यकाल की सेवाओं को पेंशन के लिए न गिना जाना कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना का अध्ययन किया जा रहा है। यदि शिक्षक-कर्मचारियों के हित प्रभावित होते दिखेंगे तो हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती दी जाएगी।
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