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जोशीमठ भूधंसाव के बाद ऐसे बनेगा ‘सुरक्षा कवच’, सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार का यह बना ऐक्शन प्लान

जोशीमठ में भूधंसाव के कारण और संभावित समाधान का अध्ययन करने वाली वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट जोशीमठ का सुरक्षा कवच बनाने में अहम भूमिका अदा कर रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार का ऐक्शन प्लान है।

Himanshu Kumar Lall देहरादून, हिन्दुस्तान, Tue, 26 Sep 2023 08:51 AM
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जोशीमठ में भूधंसाव के कारण और संभावित समाधान का अध्ययन करने वाली वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट जोशीमठ का सुरक्षा कवच बनाने में अहम भूमिका अदा कर रही है। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ.रंजीत कुमार  सिन्हा ने बताया, आठ संस्थानों ने जोशीमठ का अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट दी थी।

रिपोर्ट के आधार पर यहां भूकटाव, जल संरक्षण आदि कामों का खाका तैयार किया जा रहा है। डीपीआर बनाने का काम अंतिम दौर में है। साथ ही कोर्ट के आदेश पर विभाग ने उक्त रिपोर्ट आमजन के लिए भी उपलब्ध करा दी है।

रिपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दी हैं। हालांकि ये सभी रिपोर्ट कई माह पहले ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जा चुकी हैं। सभी संस्थानों ने जांच में पाया कि जोशीमठ क्षेत्र भूस्खलन के मलबे पर बसा संवेदनशील क्षेत्र है।

यहां के जल स्रोतों के स्वरूप में परिवर्तन और भारी निर्माण कार्य भी भूधंसाव की वजह बने हैं। वैज्ञानिकों ने सरकार को जोशीमठ में हो रहे बदलावों को रोकने और सुरक्षा के लिए अहम सुझाव भी दिए हैं।

वैज्ञानिक संस्थाओं ने दिए सुझाव
1. सीजीबीएस जोशीमठ क्षेत्र में रिटेनिंग वॉल के साथ खाईयों का निर्माण कराया जाए। इससे भूजल का दबाव कम किया जा सकेगा। साथ ही भविष्य में होने वाली दरारें भी रोकी जा सकेंगी। भूजल वाले क्षेत्रों (स्प्रिंग) जोन में निम्राण गतिविधियों को तत्काल रोका जाए। जिन झरनों के उद्गम बिंदु पर कंक्रीट के निर्माण हैं, उन्हें हटाया जाए।
2. जीएसआई जोशीमठ की घटना की और गहन जांच की जरूरत है। इसके तहत जोशीमठ के आसपास के क्षेत्र के 15000 पैमाने पर विस्तृत भूवैज्ञानिक मानचित्र (मैप) बनाया जाएगा। इसमें सभी वार्डों और शीर्ष पर औली से नीचे अलकनंदा नदी तक के क्षेत्र शामिल किए जाएंगे।
3. आईआईटी रुड़की भूधंसाव एक सतत घटना है। भूमि में पानी के रिसाव को नियंत्रित करके इसे कम किया जा सकता है।
4. सीबीआरआई रुड़की पर्वतीय क्षेत्रों में नगरीय विकास के लिए नए सिरे से मानक बनाने की जरूरत है। लोगों को भू-तकनीकि और भू-जलवायु को लेकर जागरूक भी करना होगा।
5. एनआईएच जोशीमठ क्षेत्र विशेष रूप से उत्तर की ओर ढलान एक स्लाइडिंग क्षेत्र पर स्थित है। यहां नियमित निगरानी की जरूरत है। ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी और शहर के कचरे का सुरक्षित प्रंबधन होना भी बेहद जरूरी है। जोशीमठ के आसपास स्थित सभी झरनों की सूची बनाने की तत्काल आवश्यकता है।
6. वाडिया पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को अक्सर आपदाओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि राज्य के लिए लिडार तकनीक से मानचित्र तैयार किए जाएं।

इन्होंने किया अध्ययन
वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान, आईआईटी रुड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, एनजीआरआई हैदराबाद, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीबीएस), केंद्रीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई),रुड़की।

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