जोशीमठ में लोगों की फिर बढ़ेगी टेंशन, भूधंसाव के बाद 900 मकानों को धवस्त करने का प्लान
भूधंसाव की वजह से खतरे की जद में आए जोशीमठ शहर के पुनर्वास और संरक्षण का प्लान तैयार हो गया है। इसके तहत आपदा के खतरे के लिहाज से जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया है। मकान धवस्तीकरन का प्लान है।
भूधंसाव की वजह से खतरे की जद में आए जोशीमठ शहर के पुनर्वास और संरक्षण का प्लान तैयार हो गया है। इसके तहत आपदा के खतरे के लिहाज से जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया है। सिंहधार क्षेत्र और इसके आसपास के कुछ संवेदनशील इलाकों को हाई रिस्क जोन में रखते हुए उन्हें पूरी तरह खाली कराने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस योजना को केंद्र सरकार से भी सहमति मिल चुकी है।
जोशीमठ में लोगों की सुरक्षा के लिए करीब 900 मकानों को ध्वस्त करने की योजना है। इससे विस्थापित होने वाले परिवारों को गौचर में बसाए जाने की तैयारी है। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने गौचर में 25 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार, केंद्र सरकार को जोशीमठ पर पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट(पीडीएनए)रिपोर्ट सौंप दी है।
केंद्र सरकार ने जोशीमठ में सुरक्षा कार्य व प्रभावितों के विस्थापन के लिए प्रथम चरण में 1465 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दे दी है। बाकी 335 करोड़ रुपये का अंशदान राज्य सरकार का रहेगा। मालूम हो कि जनवरी में भूधंसाव शुरू होने पर सरकार ने गांधीनगर, सिंहधार, मनोहर बाग और सुनील वार्ड को आपदा ग्रस्त घोषित कर दिया था।
जोशीमठ को संवेदनशीलता के आधार पर उच्च, मध्यम व निम्न रिस्क जोन में बांटा गया है। हाईरिस्क जोन से सभी लोगों को विस्थापित किया जाएगा। मध्यम और निम्न खतरे वाले क्षेत्र में इमारतों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। ब्लैक और रेड श्रेणी के मकान वो होंगे जो बेहद संवेदनशील होंगे।
ऐसे सभी इमारतों को ध्वस्त किया जाएगा। यलो श्रेणी के मकान बॉर्डर लाइन के मकान होंगे। यदि ये रिट्रोफिटिंग या अन्य सुरक्षा उपायों से सुरक्षित हो सकेंगे तो उन्हें दुरूस्त किया जाएगा। अन्यथा उन्हें रेड श्रेणी का मानते हुए ध्वस्त कर दिया जाएगा। ग्रीन श्रेणी में वो मकान होंगे जो पूरी तरह से सुरक्षित होंगे।
यह है योजना
हाईरिस्क जोन में पाबंदी
हाईरिस्क जोन में नए निर्माण व मरम्मत कार्यों पर पूरी तरह रोक रहेगी। अन्य क्षेत्रों में भी मास्टर प्लान के अनुसार ही काम कराए जा सकेंगे। आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार, राज्य के अन्य पर्वतीय शहरों की बियरिंग और कैरिंग कैपिसिटी का सर्वे कराया जा रहा है। वहां भी निर्माण कार्यों के लिए मानक बनाए जाएंगे। मानक के अनुसार ही भविष्य में निर्माण कार्य कराए जाएंगे।
प्रभावितों को विस्थापन के लिए मिलेंगे दो विकल्प
केंद्र सरकार को भेजी पीडीएनए रिपोर्ट में सरकार ने विस्थापन की प्रक्रिया का खाका भी केंद्र को भेजा है। इसके तहत सरकार गौचर में चिह्नित भूमि पर सरकार दो विकल्प देगी। लोग जोशीमठ की संपत्ति का मुआवजा लेकर स्वयं भी मकान बना सकते हैं। या फिर सरकार से भवन बनाने के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
इसके लिए सरकार को एक तय राशि का भुगतान करना होगा। सचिव-आपदा प्रबंधन के अनुसार केंद्र सरकार से अनुमति मिलते ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हाईरिस्क से इतर क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए होने वाले कार्यों की डीपीआर भी तैयार की जा रही है।
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