16 साल में 34 फीसदी बढ़ गए गुलदार, टाइगर बढ़ने से जंगल से दूर हुए आदमखोर
वन विभाग के अनुसार प्रदेश में 2008 में गुलदारों की संख्या का भी आकलन किया गया था। इसमें 2335 गुलदार पाए गए थे। इसके बाद 2023 में गुलदारों की गणना की गई, जो 3115 पाई गई। संख्या बढ़ी है।
उत्तराखंड में गुलदार के हमलों के पीछे सबसे बड़ी वजह इनकी लगातार बढ़ रही संख्या है। पिछले 16 सालों में प्रदेश में गुलदार चार गुना बढ़ गए हैं। जो आने वाले वक्त में इंसानों के लिए बड़े खतरे की घंटी है। वन विभाग के अनुसार प्रदेश में 2008 में गुलदारों की संख्या का भी आकलन किया गया था।
इसमें 2335 गुलदार पाए गए थे। इसके बाद 2023 में गुलदारों की गणना की गई, जो 3115 पाई गई। यानी पिछले 16 साल में प्रदेश में गुलदार की संख्या करीब 34 फीसदी तक बढ़ गई। गुलदारों की संख्या में सबसे ज्यादा बढोतरी पौड़ी, देहरादून, मसूरी, अल्मोड़ा, नैनीताल, हरिद्वार और यूएस नगर में दर्ज की गई।
वर्ष 2023 में इनके हमलों में 18 लोगों की जानें गईं। जबकि 98 लोग घायल हुए। इनमें चार वनकर्मी भी शामिल थे। गुलदारों की जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पिछले कुछ सालों से वन विभाग व भारतीय वन्यजीव संस्थान मिलकर काम भी कर रहे हैं। लेकिन अभी तक जनसंख्या नियंत्रण का कोई उपाय नहीं निकल पाया है।
50 से ज्यादा गुलदार हैं कैद ेवहीं प्रदेश में आदमखोर हो चुके या अपंग हो चुके 50 से ज्यादा गुलदार विभिन्न रेस्क्यू सेंटर व जू में कैद हैं। जिनको कभी जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। जबकि पिछले पांच सालों में करीब 20 से ज्यादा को मार डाला गया है।
टाइगर बढ़ने से जंगलों से दूर हो रहे गुलदार
वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो जहां बाघ रहता है, उसके आसपास गुलदार नहीं रहते। जंगलों में गुलदारों की संख्या भी राज्य में लगातार बढ़ रही है। इस कारण जंगलों में इनका आधिपत्य होता जा रहा है। जो गुलदारों को जंगलों से बाहर कर आबादी के आसपास धकेल रहा है।
ये भी मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ने का बड़ा कारण है। टाइगर वाले क्षेत्रों में गुलदार की संख्या एक हजार से भी कम आंकी गई है, जो कि इस बात का प्रमाण है।
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