उत्तराखंड के निजी स्कूलों के लिए फीस कमेटी बनेगी
उत्तराखंड में पब्लिक स्कूलों की फीस तय करने के लिए एक कदम बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को प्रस्तावित फीस ऐक्ट का प्रारूप सार्वजनिक कर दिया। इस प्रस्तावित ऐक्ट पर आम जनता से 15 दिन के भीतर राय मांगी गई...
उत्तराखंड में पब्लिक स्कूलों की फीस तय करने के लिए एक कदम बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को प्रस्तावित फीस ऐक्ट का प्रारूप सार्वजनिक कर दिया। इस प्रस्तावित ऐक्ट पर आम जनता से 15 दिन के भीतर राय मांगी गई है। सचिवालय में शिक्षा विभाग की समीक्षा के बाद पत्रकारों से वार्ता में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने उत्तराखंड स्ववित्तपोषित विद्यालय अधिनियम 2019 (फीस ऐक्ट) का प्रारूप जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों में सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में फीस निर्धारण समिति का गठन हो जाएगा। यह समिति हरेक स्कूल में सुविधा और प्रबंधन के खर्च का आकलन कर स्कूलवार फीस तय करेगी। यदि स्कूल को जिलास्तरीय समिति की तय फीस पर आपत्ति होगी तो शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली राज्यस्तरीय समिति के सामने अपील का मौका मिलेगा। मंत्री ने उम्मीद जताई कि जुलाई तक फीस ऐक्ट कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब होंगे। फिर इसे अगले सत्र से लागू किया जा सकेगा। मंत्री ने कहा कि दो-तीन दिन में सुझावों के लिए अधिकृत पता या ईमेल एड्रेस जारी कर दिया जाएगा।
जिलास्तरीय समिति
अध्यक्ष- जिलाधिकारी
सचिव - मुख्य शिक्षा अधिकारी
सदस्य - लोनिवि अधिशासी अभियंता, चार्टर्ड एकाउंटेंट, निजी स्कूलों का एक प्रतिनिधि और अभिभावक संघ का एक प्रतिनिधि
(सदस्यों की नियुक्ति जिलाधिकारी करेंगे)
राज्यस्तरीय समिति
अध्यक्ष- शिक्षा सचिव
सचिव - शिक्षा महानिदेशक
सदस्य - लोनिवि मुख्य अभियंता, चार्टर्ड एकाउंटेंट, निजी स्कूलों का एक प्रतिनिधि, अभिभावक संघ का एक प्रतिनिधि
तीन साल के लिए तय होगी फीस
अभिभावकों की कई और शिकायतें भी रहती हैं। जैसे हर दूसरे-तीसरे साल ड्रेस में बदलाव, एक दुकान से ड्रेस खरीदवाना। फीस में ही ट्यूशन फीस, वार्षिक शुल्क, सिक्योरिटी मनी के नाम भी अच्छी खासी रकम ली जाती है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने स्पष्ट संकेत दिए कि फीस निर्धारण तीन शैक्षिक सत्रों के लिए होगा। किसी पब्लिक स्कूल से फीस निर्धारण समितियों के सदस्यों का संबंध है तो उन्हें नियुक्ति के समय स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इन समितियों का कार्यकाल भी तीन साल का होगा।
देहरादून और चंपावत के स्कूलों की फीस एक समान रखना न्यायसंगत नहीं है। इसलिए फीस निर्धारण स्थानीय जरूरत के अनुसार होगा। सरकार निजी स्कूलों के खिलाफ नहीं और न ही फीस ऐक्ट का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना है।
अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री
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