उत्तराखंड में समर्थ पोर्टल फिर भी सॉफ्टवेयर पर खर्च किए करोड़ों, उठे कई सवाल
- उत्तराखंड के तमाम शिक्षण संस्थानों के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने पोर्टल को अंगीकृत किया है। शासन की ओर से समर्थ पोर्टल और यूटीयू के ईआरपी-यूएमएस दोनों का डेमो देखा गया। इसमें समर्थ पोर्टल को ज्यादा बेहतर पाया गया।

उत्तराखंड में वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) की ओर से लखनऊ की एक कंपनी के साथ हुए करार के बाद तैयार किए गए सॉफ्टवेयर (ईआरपी-यूएमएस) को लेकर सवाल उठे तो शासन ने इस अब रद्द कर दिया है।
खासबात यह है कि जिस काम के लिए यह सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, उस काम के लिए भारत सरकार की ओर से पहले से तैयार समर्थ पोर्टल देशभर के तमाम राज्यों में बेहतर ढंग से काम कर रहा है। शासन की ओर से अब यूटीयू में भी इसे लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
विभागीय सूत्रों की माने तो इस सॉफ्टवेयर की आड़ में निजी कंपनी को अब तक दो-दो करोड़ की तीन किश्तों में करीब छह करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। कंपनी को यूटीयू की ओर से यह भुगतान प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपये प्रति छात्र 567 रुपये की दर से किया गया।
तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से अपनी रिपोर्ट में कहा गया पूरे प्रकरण में लापरवाही और सांठगांठ परिलक्षित हुई है। जबकि इस काम के लिए भारत सरकार की ओर से विकसित समर्थ पोर्टल निशुल्क उपलब्ध था। इस पोर्टल का संचालन आईआईटी, एनआईटी सहित लगभग सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में हो रहा है।
उत्तराखंड के तमाम शिक्षण संस्थानों के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने पोर्टल को अंगीकृत किया है। शासन की ओर से समर्थ पोर्टल और यूटीयू के ईआरपी-यूएमएस दोनों का डेमो देखा गया। इसमें समर्थ पोर्टल को ज्यादा बेहतर पाया गया।
तीन बार बुलाने के बाद भी नहीं दिया प्रस्तुतिकरण
बीतें दिनों सचिव तकनीकी शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में इस संबंध में शासन में बैठक हुई थी। इस बैठक में यूटीयू के कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र सिंह, वित्त नियंत्रक विक्रम सिंह जंतवाल और सॉफ्टवेयर तैयार करने वाली कंपनी के अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक मे बताया कि यूटीयू की ओर से 10 अक्तूबर, 2024 को सॉफ्टवेयर का प्रस्तुतीकरण दिया जाना था, लेकिन कुलसचिव ने असमर्थता जाहिर कर दी। इसके बाद उन्हें पुन 12 दिसंबर और 26 दिसंबर 2024 को मौका दिया गया। लेकिन दोनों ही बार कुलसचिव ने कोई न कोई बहाना बनाकर सॉफ्टवेयर के संबंध में प्रस्तुतीकरण नहीं दिया।
इसके बाद यूटीयू की ओर से 16 जनवरी को सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के माध्यम से प्रस्तुतीकरण दिया गया, जिसमें कई खामियां उजागर हुईं।
तकनीकी शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रकरण के सामने आने के बाद इस मामले में तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यूटीयू में समर्थ पोर्टल लागू किए जाने के आदेश दिए गए हैं।
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